अलीगढ़, 10 दिसंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के स्थापना दिवस को चिह्नित करते हुए एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रोफेसर सीमा हकीम (प्रिज़ाइडिंग आफीसर, आईसीसी) ने विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान राज्य के मामले में अदालत के ऐतिहासिक निर्णय के बाद अधिनियम की अवधारणा पर प्रकाश डाला, जिसके परिणामस्वरूप अंततः विशाखा मामले में दिए गए दिशानिर्देश के अनुसार कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न और महिलाओं को एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के सम्बन्ध में शिकायतों के निवारण के लिए दिशानिर्देश तैयार किये गए।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर जकी अनवर सिद्दीकी (सदस्य प्रभारी, भूमि और उद्यान विभाग) ने आईसीसी के कामकाज की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह एएमयू में कामकाजी महिलाओं के लिए शक्ति का एक श्रोत है।
प्रोफेसर संगीता सिंघल (फिजियोलाजी विभाग, जेएनएमसी और सदस्य आईसीसी) ने ‘यौन उत्पीड़न क्या है और हम कार्यस्थल को कैसे परिभाषित कर सकते हैं‘ जैसे प्रश्नों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि ‘यौन उत्पीड़न’ में किसी भी प्रकार का यौन सम्बन्धी अवांछित कार्य या व्यवहार शामिल है जो प्रत्यक्ष रूप से हो या शारीरिक संपर्क या इस प्रकार के इशारों या यौन सम्बन्ध की मांग या अनुरोध या यौन सम्बन्धी टिप्पणी और अश्लील तस्वीरें दिखाने या अवांछित शारीरिक, मौखिक अथवा ग़ैर मौखिक आचरण के रूप में हो।
श्री जावेद सईद (सचिव, सैफी शिक्षा ट्रस्ट और सदस्य आईसीसी) ने ‘शिकायत क्या है और आंतरिक शिकायत समिति में किस प्रकार की शिकायतों पर विचार किया जा सकता है और शिकायत में विषय वास्तु क्या होनी चाहिए’ जैसे प्रश्नों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि फर्जी और भ्रामक प्रकृति की शिकायत पर आईसीसी में विचार नहीं किया जाता है।
डाक्टर सुबूही अफजाल (चिकित्सा अधिकारी और सदस्य आईसीसी) ने ‘पीड़ित महिला’ शब्दावली पर विचार विमर्श किया। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम हर महिला की आयु एवं कार्य की स्थिति पर ध्यान दिए बिना कार्यस्थल पर एक सुरक्षित वातावरण के अधिकार को मान्यता देता है।
सुश्री अदीला सुल्ताना (अनुभाग अधिकारी, जेएनएमसीएच और सदस्य आईसीसी) ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के कानूनी परिप्रेक्ष्य पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आईसीसी के सदस्य जांच समिति के भी सदस्य हैं और जांच की पूरी प्रक्रिया 90 दिनों के निर्धारित समय के भीतर पूरी की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जब कोई शिकायत प्राप्त होती है तो शिकायत प्राप्त होने के 7 दिनों के भीतर कार्रवाई करना अनिवार्य होता है और आईसीसी मामले को समयबद्ध तरीके से निपटाना सुनिश्चित करता है।
सुश्री अदीबा नसीम (एमबीबीएस छात्रा और सदस्य आईसीसी) ने ‘छात्राओं के परिप्रेक्ष्य में कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न’ विषय पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमें अपने समाज को लड़कियों की सुरक्षा के बारे में अधिक जागरूक बनाना होगा।