अलीगढ़, 10 दिसंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पुस्तकालय और सूचना विज्ञान विभाग के प्रोफेसर नौशाद अली पी.एम ने पुस्तकालय और सूचना विज्ञान के भारतीय शिक्षक संघ और कलकत्ता विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल के 37वें आईएटीएलआईएस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में ‘जलवायु परिवर्तन पर विशेष जोर देने वाले हरित पुस्तकालय’ विषय पर एक आनलाइन व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे पुस्तकालय स्थायी प्रथाओं और हरित भवनों के माध्यम से अपने प्रतिदिन के काम काज में संसाधनों की खपत को कम करके पर्यावरणीय लाभ का विस्तार कर सकते हैं।
‘सस्टेनेबल लाइब्रेरीज़-ग्रीन लाइब्रेरीज़ एंड अदर सस्टेनेबिलिटी मैटर्स’ विषय पर एक सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर नौशाद अली ने भारत में हरित पुस्तकालय मानकों, आवश्यकताओं और हरित पुस्तकालय भवनों और हरित पुस्तकालय पहल के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि ‘हरित पुस्तकालयों’ के वैश्विक आंदोलन के बीच पुस्तकालयाध्यक्षों की एक बड़ी भूमिका है। ऐसे समय में जब वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन में महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में चेतावनी दे रहे हैं, उन्हें पर्यावरण के अनुकूल गतिविधियों और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से स्थिरता का प्रचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस पृथ्वी को प्रयावरण की दृष्टि से सही रखने के लिए संस्थानों को बदलने की जरूरत है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि पुस्तकालयों सहित सभी भवनों को पर्यावरण के अनुकूल निर्माण, बायोडिग्रेडेबल उत्पादों के उपयोग, संसाधनों के संरक्षण और अन्य चीजों के अतिरिक्त उचित अपशिष्ट निपटारन के साथ प्राकृतिक पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए डिज़ाइन किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि हरित पुस्तकालय पर एक पाठ्यक्रम को पुस्तकालय और सूचना विज्ञान पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।