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Saturday, May 4, 2024
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एएमयू: भारतीय संविधान की मौलिक विशेषताएं बेमिसाल: प्रो. तारिक मंसूर

अलीगढ़, नवंबर 26ः संविधान दिवस समारोह के अंतर्गत शुक्रवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और कार्यालयों में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसमें शिक्षकों, छात्रों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी और संविधान में निहित लोकतांत्रिक आदर्शों और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

अमुवि कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने अपने एक संदेश में भारतीय संविधान के निर्माताओं के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय संविधान की मौलिक विशेषताऐं बेमिसाल हैं और दुनियां के कई देश इसका अनुसरण करते हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि वह संवैधानिक मूल्यों का न केवल आदर करे बल्कि इनके संरक्षण एवं सुरक्षा के लिये हर संभव प्रयास करे।

इस अवसर को भौतिकी विभाग में प्रोफेसर बी पी सिंह (अध्यक्ष) द्वारा प्रस्तावना पढ़ने के साथ इस अवसर के महत्व को रेखांकित किया गया।

उन्होंने भौतिकी विभाग की उपलब्धि, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा इसकी रैंकिंग पर भी बात की और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के दिशानिर्देशों के अनुसार बहु-विषयक अनुसंधान करने की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रोफेसर सिंह ने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के जरिए संविधान के महत्व पर चर्चा की।

अतिथि वक्ता, प्रो आफताब आलम (सामरिक और सुरक्षा अध्ययन विभाग के अध्यक्ष) ने इस अवसर के इतिहास, महत्व और विशिष्टता के बारे में विस्तार से बताया और संविधान प्रारूप समिति के सदस्यों के चयन कि प्रक्रिया पर रौशनी डाली।

प्रोफेसर आफताब आलम ने संविधान में निर्धारित मौलिक कर्तव्यों और निर्देशक सिद्धांतों और नागरिकों की जिम्मेदारियों के बारे में भी बताया।

प्रोफेसर शाहिद हुसैन (भौतिकी विभाग) ने संविधान की मुख्य विशेषताओं पर विचार-विमर्श किया।

कार्यक्रम का संचालन डा. जयप्रकाश ने किया और धन्यवाद ज्ञापित किया।

जनसंचार विभाग में प्रोफेसर पिताबास प्रधान (विभागाध्यक्ष) ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी और कहा कि यह संविधान के मूल संवैधानिक मूल्यों का प्रतिबिंब है।

संविधान की मुख्य विशेषताओं पर बोलते हुए प्रोफेसर प्रधान ने कहा कि भारत का संविधान न्यायविद, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक डा बी आर अंबेडकर की एक प्रगतिशील रचना है और इसका पालन करना सभी नागरिकों का कर्तव्य है।

डा गोपाल कृष्ण साहू, डा हुमा परवीन और श्री मोहम्मद अनस ने संवैधानिक मूल्यों को संरक्षित और संचयित करने की प्रतिज्ञा को नवीनीकृत करने के बारे में बात की।

कानून विभाग में प्रो हशमत अली खान ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी और शिक्षकों, प्रोफेसर वसीम अली और डा सैयद अली नवाज जैदी ने ‘संविधान के महत्व और इतिहास’ पर भाषण दिए।

उन्होंने कहा कि “हमारा संविधान सर्वाेच्च है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि जो लोग जनता की ओर से निर्णय लेते हैं, वे जनता की राय का उचित प्रतिनिधित्व करते हैं। यह उन तरीकों को भी निर्धारित करता है जिनसे सत्ता का प्रयोग करने वालों को उन लोगों के प्रति जवाबदेह ठहराया जा सकता है जिनकी वे सेवा करते हैं। प्रोफेसर मोहम्मद अशरफ (डीन, विधि संकाय) ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।

राजनीति विज्ञान विभाग में, प्रोफेसर इकबालुर रहमान (अध्यक्ष) ने संविधान की शपथ दिलाई और प्रस्तावना पढ़ी।

प्रोफेसर उपेंद्र चौधरी ने विदेश नीति निर्माण पर बात की, जबकि प्रोफेसर आफताब आलम (अध्यक्ष, सामरिक और सुरक्षा अध्ययन विभाग) ने भारतीय संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए संविधान में लेखों और प्रावधानों की कालानुक्रमिक व्यवस्था पर प्रकाश डाला।

संविधान दिवस पर सैय्यद हामिद सीनियर सेकेंडरी स्कूल-बायज में स्कूल के प्रिंसिपल डा एस एम मुस्तफा ने बताया कि कैसे हमारा देश संविधान के कार्यान्वयन के साथ एक गणतंत्र बन गया।

श्री बच्चन अली खान (कार्यक्रम समन्वयक) ने मौलिक अधिकारों के लिए प्रयास करने और मौलिक कर्तव्यों का पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया।

श्री गुफरान अहमद (वरिष्ठ शिक्षक और अल्लामा इकबाल बोर्डिंग हाउस के प्रभारी वार्डन) ने प्रस्तावना पढ़ी और संविधान की पवित्रता को बनाए रखने की शपथ दिलाई।

राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) में इस अवसर पर एक आनलाइन कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।

डा अरशद हुसैन (कार्यक्रम समन्वयक, एनएसएस) ने प्रस्तावना पढ़ी और संविधान में निहित मूल्यों की व्याख्या की।

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