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Wednesday, May 1, 2024
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प्रौद्योगिकी नवाचारों के व्यवसायीकरण के लिएआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भी जरूरी

अलीगढ़, 7 जनवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेडएच कालेज आफ इंजीनियरिंग एण्ड टैक्नालोजी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के तत्वाधान में “प्रौद्योगिकी नवाचारों का व्यावसायीकरणः मुद्दे और चुनौतियां” विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें विशेषज्ञों ने प्रौद्योगिकी नवाचारों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की।

डा. हेमंत कुमार बुलसारा (प्रभारी, प्रबंधन अनुभाग, एसवी नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी, सूरत) ने बताया कि ऐसे प्रौद्योगिकी नवाचार जो तेजी से बाजार में जगह बना सकते हैं और सबसे कुशल और आर्थिक तरीके से ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हैं, के साथ चुनौतियां और सुरक्षा चिंताऐं भी सम्मिलित होती हैं।

उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना नीति निर्माताओं की ज़िम्मेदारी है कि उद्योग में तकनीकी बदलाव से प्रभावित वर्गों और श्रमिकों के सहयोग के साथ नई प्रौद्योगिकी विकास को सभी के लिये समवेशी बनाऐं। सार्वजनिक, निजी और शैक्षणिक क्षेत्रों को एक दूसरे के साथ सहयोग करने की जरूरत है और नीतियों में बदलाव के लिए लचीलापन होना चाहिए क्योंकि प्रौद्योगिकी आगे बढ़ रही है।

डा. हेमंत ने आगे कहा कि नवाचारों को पेटेंट कराने का रुझान शोधकर्ताओं और समाज को लाभान्वित कर रहा है लेकिन नवाचारों की इस निरंतर वृद्धि में गंभीर मुद्दे भी शामिल हैं। पेटेंट की गुणवत्ता अत्यंत महत्वपूर्ण है और यदि एक मानक में शामिल एक नवाचार पेटेंट द्वारा कवर किया जाता है, तो इसकी वैधता और महत्व सभी हितधारकों के लिए स्पष्ट होना चाहिए।

स्वागत भाषण में, प्रोफेसर एम मुज़म्मिल (अध्यक्ष, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग) ने कहा कि “नए उपकरण, मशीनों और स्मार्ट निर्माण के विकास के साथ नए विचार अस्तित्व में आए हैं। ऐसे में उद्योग 4.0 मशीनों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादन के साथ एकीकृत करना आवश्यक है।

प्रोफेसर फैसल तालिब ने धन्यवाद ज्ञापन के अतिरिक्त डा मोहम्मद मआज़ और अतीब अहमद खान के साथ वेबिनार का आयोजन एवं समन्वयन भी किया। कार्यक्रम का संचालन डा. मोहम्मद मुआज़ ने किया।

वेबिनार में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और केंद्रीय रेशम बोर्ड, कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार के अधिकारियों के अतिरिक्त इटली, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब साम्राज्य और विभिन्न भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों, सार्वजनिक और निजी भारतीय विश्वविद्यालयों और पालिटेक्निक के शिक्षकों और छात्रों ने कार्यक्रम में भाग लिया।

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