अलीगढ़ 21 सितंबरः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जेएन मेडीकल कालिज के मानसिक रोग विभाग द्वारा कम्युनिटी मेडिसिन के रूरल हेल्थ टेªनिंग सेंटर, जवां, अलीगढ़ में सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया।
मानसिक रोग विभाग के चेयरमैन प्रोफेसर एसए आज़मी ने इस अवसर पर कहा कि बुजुर्गों में भूलने की बीमारी का इलाज अपने निकटतम अस्पताल में शीघ्र कराना समझदारी होगी। बचपन में रात-रात भर जागकर आवश्यकतानुसार वे बच्चों की परवरिश करते हैं। जब मां बाप बुज़ुर्ग होते हैं तो उनकी सेवा सम्मान से करनी चाहिए, विशेषकर इलाज के सिलसिले में कोई लापरवाही न हो। सहायक प्रोफेसर डा. श्रवण कुमार ने अल्ज़ाइमर के बारे में विस्तार से बताया। रूरल हेल्थ ट्रेनिंग सेंटर, जवां की इंचार्ज डा. उज़मा और कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के सीनियर रेज़िडेंट डा. सलीम मोहम्मद खान ने उपस्थित लोगों से आहवान किया कि अल्ज़ाइमर को लेकर खुद जागरूक हों और दूसरों को भी जागरूक करें।
इस अवसर पर मानसिक रोग विभाग के रेज़िडेंट डा. शैलजा सिंह डा. रेहान मतीन, डा. वेद प्रकाश, डा. आकांक्षा, डा. जे़बा, डा. राशिका शेरवानी (इंटर्न), डा. रिदा सुलतान (इंटर्न) और शोध छात्रा हम्ज़ा एवं तबस्सुम बशीर के द्वारा अल्ज़ाइमर पर बनाये गये पोस्टर का प्रदर्शन किया गया। अंत में मानसिक रोग विभाग के सीनियर रेज़िडेंट डा. फैसल शान ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर डा. नेहा अग्रवाल (कम्युनिटी डेंटिस्ट), कम्युनिटी मेडिसिन के रेजिडेंट्स डाक्टर्स तथा श्री ग्यासुद्दीन, श्री मुनव्वर अहमद भी उपस्थित रहे।
इसके अतिरिक्त अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडीकल कालिज में इंटरडिसिप्लीनरी ब्रेन रिसर्च सेंटर में सहायक प्रोफेसर डा. महदी हयात शाही ने सनातन धर्म कालेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा विश्व अल्जाइमर दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में व्याख्यान प्रस्तुत किया।
डा. शाही ने डिमेंशिया और अल्जाइमर रोग के बारे में जागरूकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि तीन में से दो लोगों को डिमेंशिया या अल्जाइमर रोग की समझ नहीं है। उन्होंने कहा कि विश्व में लगभग 50 मिलियन लोग अलजाइमर रोग से ग्रस्त हैं और हरेक वर्ष 10 लाख लोग इस बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं।
उन्होंने बताया कि अब अल्जाइमर रोगियों के मस्तिष्क का पता लगाने के लिए पीईटी तकनीक भी आ चुकी है। उन्होंने सुझाव दिया कि लोगों को दैनिक व्यायाम के साथ अपने मस्तिष्क को पहेली सुलझाने में व्यस्त रखने और नये कौशल विकसित करने पर केन्द्रित करना चाहिए।