अमुवि के भौतिकी विभाग ने ‘अल्बर्ट आइंस्टीन को नोबेल पुरस्कार का शताब्दी वर्ष’ मनाया गया।

अमुवि के भौतिकी विभाग ने ‘अल्बर्ट आइंस्टीन को नोबेल पुरस्कार का शताब्दी वर्ष’ मनाया गया।
अलीगढ़, 20 सितंबरः आइंस्टीन के नोबेल पुरस्कार के 100 साल पूर्ण होने पर दुनिया भर में समारोह हो रहे हैं क्योंकि अल्बर्ट आइंस्टीन को ‘सैद्धांतिक भौतिकी में उनकी सेवाओं के लिए और विशेष रूप से फोटोइलेक्ट्रिक प्रभाव के कानून की खोज के लिए’ भौतिकी में 1921 का नोबेल पुरस्कार मिला था। एएमयू के भौतिकी विभाग भी इस उत्सव का हिस्सा बना और आज ‘अल्बर्ट आइंस्टीन को नोबेल पुरस्कार का शताब्दी वर्ष’ विषय पर भौतिकी विभाग में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन एएमयू के कुलपति प्रो तारिक मंसूर ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में आइंस्टीन की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। कुलपति ने आइंस्टीन के भौतिकी के प्रति समर्पण का उल्लेख करते हुए रोजमर्रा के मानव जीवन में विज्ञान के महत्व पर भी चर्चा की और चिकित्सा में भौतिकी के व्यावहारिक अनुप्रयोगों जैसे सीटी स्कैन, कलर डापलर, ईसीजी, एमआरआई आदि का उल्लेख किया।
प्रो मंसूर ने जोर देते हुए कहा कि युवा वैज्ञानिकों के लिए एक अच्छी कार्य संस्कृति होनी चाहिए और हमें उनके लिए अनुकूल माहौल बनाए रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आइंस्टीन हमेशा भौतिकी की समस्याओं और उन्हें हल करने के दृढ़ संकल्प के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण रखते थे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर अजय के घटक और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली में प्रोफेसर एमेरिटस और शांति स्वरूप भटनागर एवार्ड प्राप्त ने ‘क्वांटम सिद्धांत के विकास’ पर सूचनात्मक भाषण दिया जो वास्तव में आइंस्टीन के शोध से संबंधित था। भाषण इतना जानकारीपूर्ण और मौलिक था कि वार्ता में 250 से अधिक प्रतिभागियों ने सराहना की और क्वांटम यांत्रिकी की मूल बातें समझीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग से ही गरीबी को कम किया जा सकता है।
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर अविनाश चंद्र पांडे, निदेशक, आईयूएसी नई दिल्ली ने सामान्य रूप से भौतिकी के क्षेत्र में आइंस्टीन के योगदान के बारे में अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने इंटर यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर, नई दिल्ली के पेलेट्रान एक्सेलेरेटर सुविधा में भौतिकी विभाग के सदस्यों द्वारा उपयोग की जा रही सुविधाओं का भी वर्णन किया।
एएमयू विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर एम अशरफ ने कहा कि हमें उन सभी भारतीय वैज्ञानिकों को श्रद्धांजलि देनी चाहिए जिन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में योगदान दिया। उन्होंने विभिन्न भारतीय वैज्ञानिकों के योगदान का भी उल्लेख किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए हमें अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है।
भौतिकी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर भानु प्रकाश सिंह ने अपने स्वागत भाषण में अतिथियों का परिचय दिया। प्रो. सिंह ने भौतिकी के क्षेत्र में आइंस्टीन के योगदान और भौतिकी विभाग एएमयू अलीगढ़ से संबंधों के बारे में भी बात की।
समारोह के एक भाग के रूप में, भौतिक विज्ञान विभाग ने साइंस सोसाइटी एण्ड आइंसटीन विषय पर डाक्टर सीएम नोटियाल (प्रोग्राम कंसलटेंट, साइंस कम्यूनिकेशन) इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी, नई दिल्ली ने परिसंवाद का संचार भी किया।
भौतिकी विभाग के डा. जय प्रकाश ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया और विभाग में ‘अल्बर्ट आइंस्टीन को नोबेल पुरस्कार के शताब्दी वर्ष’ उत्सव कार्यक्रम के लिए किए गए सभी गतिविधियों को बताया।
इस अवसर पर ‘वर्तमान परिदृश्य में आइंस्टीन के काम का महत्व’ विषय पर निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें जैद मुस्तफा (बीएससी द्वितीय सेमेस्टर) प्रथम स्थान पर रहे जबकि सौम्या सिंह (बीएससी पांचवें सेमेस्टर) द्वितीय स्थान एवं फेमिना हुसैन (बीएससी पांचवें सेमेस्टर) और मोहम्मद आमिर (बीएससी पांचवें सेमेस्टर) ने संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त किया। श्री मोहम्मद आजम अली (बीएससी पांचवें सेमेस्टर) और श्री अब्दुल रब (बीएससी पांचवें सेमेस्टर) को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया।
‘विज्ञान और समाज’ विषय पर कला प्रतियोगिता में सौम्या सिंह (बीएससी पांचवें सेमेस्टर), सदफ रफीक (बीएससी पांचवें सेमेस्टर) और अबू हनीफा (एमएससी द्वितीय सेमेस्टर) ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किया।

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