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Friday, May 3, 2024
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एएमयू में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सेमीनार में कोविड के दौरान होने वाले तनाव पर चर्चा

अलीगढ़ 21 मईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग द्वारा यूनिवर्सिटी टेक्नोलोजी मलेशिया (यूटीएम) के सामाजिक विज्ञान और मानविकी संकाय के सहयोग से ‘कोविड-19 युग में शिक्षार्थियों के सामाजिक-मनोवैज्ञानिक मुद्दों‘ पर आभासी मोड में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन में कोविड-19 अवधि के दौरान शिक्षार्थियों के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कल्याण पर तनाव और विषमताओं के प्रभाव पर शिक्षकों और शिक्षा विशेषज्ञों ने विचार-विमर्श किया।

कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक और प्रोफेसर निसार अहमद खान, सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन संरक्षक थे।

प्रोफेसर जैदातुन तासीर, डीन, सामाजिक विज्ञान और मानविकी संकाय (एफएसएसएच), यूटीएम और प्रोफेसर मुजीबुल हसन सिद्दीकी (अध्यक्ष, शिक्षा विभाग, एएमयू) ने यूटीएम और एएमयू के वक्ताओं और प्रतिभागियों का स्वागत किया और इन संस्थाओं की उपलब्धियों और इनके द्वारा प्रदान की गई सुविधाओं पर प्रकाश डाला। इस मौके पर यूटीएम और एएमयू से सम्बंधित वृत्तचित्रों के दृश्यों से निर्मित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया।

प्रोफ़ेसर सती ऐसिया बिन्ती पनाटिक, एफएसएसएच, यूटीएम, ने ‘महामारी काल के बाद स्वयं को परिस्थितियों के प्रति प्रतिरोधक्षमतापूर्ण कैसे बनाया जाए’ सकारात्मक मनोविज्ञान दृष्टिकोण‘ पर बात की। उन्होंने महामारी के बाद के संक्रमण के दौरान छात्रों के मुद्दों और चिंताओं को प्रभावी ढंग से संभालने में लचीलापन और सकारात्मक मनोविज्ञान के महत्व पर जोर दिया।

प्रोफेसर नसरीन (शिक्षा विभाग, एएमयू) ने ‘द जर्नी ऑफ टीचिंग-लर्निंग ड्यूरिंग कोविड -19ः इश्यूज एंड चौलेंजेस‘ विषय पर एक वार्ता प्रस्तुत की। उन्होंने अपने व्याख्यान में बुनियादी ढांचे और गुणवत्तापूर्ण शिक्षण से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों के साथ-साथ उनसे निपटने के लिए सुझावात्मक उपायों पर प्रकाश डाला।

सलमालीना बिनती सल्लेह, एफएसएसएच, यूटीएम ने कोविड-19 महामारी के बाद स्नातकों की बेरोजगारी की खतरनाक स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया।

ए.पी डा आदिबाह बिंती अब्दुल लतीफ, एफएसएसएच, यूटीएम, ने कोविड-19 के दौरान छात्रों के मनोविज्ञान में मदद करने के लिए लचीले मूल्यांकन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

डा मोहम्मद शहीर सिद्दीकी, शिक्षा विभाग, एएमयू ने शिक्षा पर कोविड-19 के प्रभाव से संबंधित विभिन्न देशों और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा जारी विश्वव्यापी और कार्यकारी आधिकारिक रिपोर्टों और विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित शोध की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत की।

डा नूरा अब्दुल कादर, शिक्षा विभाग, एएमयू ने महामारी में विश्वविद्यालय में संक्रमण के दौरान छात्रों का सहयोग करने के लिए विभिन्न रणनीतियों पर चर्चा की।

प्रोफेसर डा फतिन अलियाह फांग (अध्यक्ष, स्कूल ऑफ एजुकेशन, एफएसएसएच, यूटीएम) और प्रोफेसर मुजीबुल हसन सिद्दीकी ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया और डा हसन अबुहस्ना और डा सिटी निस्रिन (एफएसएसएच, यूटीएम) ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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एएमयू में योग दिवस के उपलक्ष में योग महोत्सव का आयोजन

अलीगढ़, 21 मईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग के तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से पूर्व एक योग महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है जिसमें शिक्षक और छात्रएक सप्ताह तक चलने वाले कार्यकर्मों में भाग ले रहे हैं। महोत्सव में योग जागरूकता अभियान, व्यावहारिक सत्र, वेबिनार, सामान्य चर्चा के अलावा कार्यशाला और ग्रुप योगा सत्र आयोजित होंगे।

यह कार्यक्रम आयुष मंत्रालय के तहत शारीरिक शिक्षा विभाग और मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई) के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया जा रहा है।

सात दिवसीय महोत्सव का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि प्रोफेसर असमर बेग (राजनीति विज्ञान विभाग) ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने न केवल देश भर में योग के अभ्यास को प्रोत्साहित किया है, बल्कि उन्होंने दुनिया भर के लोगों को इसके दूरगामी स्वास्थ्य लाभों सहित योग से परिचित कराया है।

उन्होंने कहा कि परिणामस्वरूप, संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया।

प्रोफेसर असमर ने जोर दिया कि योग समग्र स्वास्थ्य का एक तरीका है और इसका उत्सव दुनिया भर में स्वास्थ्य, भलाई और शांति को बढ़ावा देने के लिए एक जन आंदोलन का अवसर है।

प्रोफेसर सैयद तारिक मुर्तजा (अध्यक्ष, शारीरिक शिक्षा विभाग) ने कहा कि योग जीवन का एक व्यापक और एकीकृत विज्ञान है जो व्यक्ति और समाज के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक कल्याण से संबंधित है। उनहोंने कहा कि यह अत्यधिक स्वास्थ्य लाभ के साथ आत्म-परिवर्तन की एक एकीकृत पद्धति है।

कार्यक्रम के आयोजन सचिव, प्रोफेसर राजेंद्र सिंह ने कहा कि दैनिक योग दुर्घना ग्रस्त होने की संभावना को कम करने में मदद करता है और तनाव के स्तर को कम करके उनके दिमाग को शांति प्रदान करता है।

उन्होंने डा. नौशाद वहीद अंसारी के साथ सामूहिक योग सत्र का भी संचालन किया।

कार्यक्रम का संचालन डा. मेराजुद्दीन फरीदी ने किया।

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