अलीगढ़, 17 मईः अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के यूनिवर्सिटी फिल्म क्लब द्वारा केनेडी हॉल ऑडिटोरियम में गौरी शिंदे की ‘डियर जिंदगी‘ फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग के साथ सिनेमा को चिकित्सा के माध्यम के रूप में इस्तेमाल करने पर चर्चा की गई।
यह फिल्म एक सिनेमैटोग्राफर के जीवन में एक कठिन समय का दस्तावेजीकरण करती है, जो अपनी समस्याओं को दूर करने के लिए एक पेशेवर की मदद लेती है। यूनिवर्सिटी फिल्म क्लब द्वारा ‘मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता माह‘ के उपलक्ष में इस फिल्म का प्रदर्शन किया गया।
यूएफसी सचिव, सैयद सुहैब ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि सिनेमा एक शक्तिशाली, परिवर्तनकारी उत्प्रेरक हो सकता है जिसमें मुद्दों पर महत्वपूर्ण चर्चाओं को प्रज्वलित करने की क्षमता हो। ‘डियर जिंदगी‘ फिल्म मानसिक स्वास्थ्य के विषय में बहुत कुछ कहती है। ऐसा कम ही होता है कि कोई फिल्म मानसिक बीमारी के मुद्दे को इतने भरपूर अंदाज़ में अपने दायरे में लेती हो और उसे सही और उचित तरीके से प्रस्तुत करती हो।
कार्यक्रम की मेजबानी करते हुए, अलविना रईस खान ने बताया कि कैसे फिल्में स्क्रीन पर मानसिक स्वास्थ्य की कहानियों को जागरूकता बढ़ाने, शिक्षा का समर्थन करने और मानसिक स्वास्थ्य के अनुभवों के बारे में समझ को व्यापक बनाने के अवसर प्रस्तुत करती हैं।
कार्यक्रम समन्वयक, अहमद मुदस्सीर ने कहा कि फिल्म की स्क्रीनिंग का उद्देश्य लोगों को यह समझाना है कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर बनी फिल्में हमारे सोचने, महसूस करने के तरीके को बदल सकती हैं और अंततः जीवन के उतार-चढ़ाव से निपटने में सहायक सिद्ध हो सकती हैं।
‘मानसिक स्वास्थ्य‘ पर भाषण देते हुए यूएफसी सदस्य मदीहा दानिश ने कहा कि बहुत से चिकित्सक अपने रोगियों को उनकी मानसिक दशा का पता लगाने में मदद करने के लिए फिल्में देखने का परामर्श दे रहे हैं। सिनेमा उन लोगों की मदद करने का एक उपकरण बन रहा है जो अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और अपनी बाधाओं को दूर करने में स्वयं प्रयास करते हैं।
यूएफसी सदस्य महविश फातिमा ने विशेष रूप से भारत के युवाओं के बीच चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य उपचार की भूमिका पर प्रकाश डाला।
उन्होंने मानसिक स्थिरता की गहरी जड़ों और मुख्यधारा के मीडिया पर इसकी निर्भरता के बारे में भी बताया।
अब्दुल्लाह इफ्तिखार ने कहा कि गौरी शिंदे की ‘डियर जिंदगी‘ अच्छी तरह से शोध किए गए चिकित्सक कौशल को दर्शाती है।
उन्होंने कहा कि फिल्म अद्वितीय, चिकित्सक-रोगी संबंधों के साथ पूरी तरह न्याय करती है।