अलीगढ़। 17 अक्तूबर 2021 को एएमयू का सर सैयद डे काफी अहम रहा। अपने भाषण में दो ऐसे दिग्गजों ने एएमयू के इतिहास को जनता के सामने रखा जो अपने क्षेत्र में माहिर थे। हम बात कर रह हैं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर और पद्म भूशण से नवाजे जा चुके प्रोफेसर गोपीचंद नारंग की। सर सैयद डे के अपने भाषण में दोनों की महानुभवों का फोकस हिंदुस्तान की हिंदु और मुस्लिम एकता पर ही रहा है। इस एकता के बारे में सर सैयद ने कई बार जिक्र किया। दोनों की अतिथियों ने इशारों-इशारों में उन लोगों पर कटाक्ष किया जो एएमयू के बारे में नाकारात्मक सोच रखते हैं।
जस्टिस टीएस ठाकुर ने कि हमेशा इस इदारे में सभी समाजों के लोगों षिक्षा दी जाती है। उन्होंने सर सैयद का कथन का हवाले देते हुए कहा कि एएमयू शिक्षा के लिए भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में जाना जाता है, लेकिन इसकी लोकप्रियता इतनी अधिक है हर कोई यहां पर दाखिला लेने की चाहत रखता है। उन्होंने कहा कि सर सैयद अहमद खां ने हमेषा सांप्रदायिक सौहार्द्र की बात की। षिक्षा के क्षेत्र में उनका साथ केवल मुसलमान नहीं बल्कि हिंदूओं ने भी दिया है। उनका कहना था कि भारत की इमारत को खड़ा करने में उनके साथी केवल मुसिलम नहीं थे बल्कि सभी थे। 27 जनवरी 1884 को गुरदासपुर में अपने भाशण में कहा था कि हिंदू और मुस्लिम दुल्हन की दो आंखे हैं। अगर एक खराब होगी तो दुल्हन सूरत भी खराब हो जाएगी।
एएमयू के सेंटररी समारोह के दौरान भारत के प्रधानमंत्री के भाषण का हवाला देने हुए उन्होंन कहा कि 22 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री ने कहा था कि एएमयू कैंपस एक षहर की तरह है, बल्कि मिनी इंडिया है। एक ओर यहां पर उर्दू है तो दूसरी ओर हिंदी, एक ओर अरबी है तो दूसरी संस्कृति भाषा पढ़ाई जाती है। यहां की लाइब्रेरी में अगर कुरआन रखा है तो गीता और रामायण को भी उनता ही महत्व दिया जाता है।
पद्म भूषण प्रोफेसर गोपीचंद नारंग ने कहा कि सर सैयद ने खुद कहा कि है इस इदारे के दरवाजे हिंदू और मुसलमानों के लिए खुले हैं। उन्होंने कहा था कि हिंदू और मुस्लिम एक ही जमीन की पैदावार है। हिंदूस्तान एक खूबसूरत दुल्हन की तरह है, अगर इसकी एक आंख खराब होगी तो दुल्हन कानी हो जाएगी। हिंदुस्तान की हवा हम दोनों लेते हैं, गंगा जमुना का पानी दोनों ही पीते हैं, हिंदुस्तान में रहते-रहते हमारा खून एक सा हो गया। दोनों की षक्ल एक सी हो गई और मुसलमानों ने हिंदुओं की बहुत सी रस्में ले ली हैं और हिंदुओं ने भी बहुत से तरीके मुसलमानों के अपना लिए हैं।