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Thursday, May 2, 2024
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जीवन की भावनाओं और सामान्यताओं से जुड़ने का नाम है ‘कहानी नया पंजाब’

प्रोफेसर शाफे किदवई ने किया नया पंजाब के नये अंक का विमोचन

अलीगढ़, 7 सितंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के आधुनिक भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष, प्रोफेसर क्रांति पाल ने पंजाबी भाषा की साहित्यिक पत्रिका ‘‘कहानी पंजाब‘‘ के 101वें अंक के विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि नई पीढ़ी अपने साहित्य से गहरे, व्यक्तिगत लगाव का मौका चाहती है। वे ऐसी किताबें चाहते हैं जो दैनिक जीवन की भावनाओं और सामान्यताओं से जुड़ने की उनकी इच्छा को पूरा करें।


ज्ञात हो कि कहानी पंजाब के नए अंक का विमोचन आज अमुवि के जनसंपर्क कार्यालय में प्रोफेसर शाफे किदवाई, प्रोफेसर मोहम्मद सज्जाद तथा श्री अजय बिसारिया द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। पत्रिका में विभिन्न शैलियों की लघु कथाएँ, निबंध, लेख और संवाद शामिल है जो विभिन्न काल खण्डों का प्रतिनिधित्व करती हैं।


प्रोफेसर क्रांति पाल ने कहा कि इस अंक में शामिल कोविड महामारी की त्रासदि का दंश झेलने वाले समकालीन लेखकों द्वारा लिखित लघु कथाओं एवं लेखों में उघृत इस महामारी से उत्पन्न निराशा और मानवीय भावनाओं के लचीलेपन और संभावनाओं को इस संस्करण में शामिल किया गया है।


उन्होंने जोर देकर कहा कि लाक-डाउन के दौरान लिखे गए साहित्य को संस्करण में शामिल करना अनिवार्य था क्योंकि इसने मानव जीवन को विभिन्न प्रकार से प्रभावित किया है। उन्होंने कहा कि साहित्यिक प्रक्रिया में ऐतिहासिक त्रासदियों के आघात को अवशोषित करने का चलन रहा है और अब जबकि महामारी दूसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है, बड़़ी संख्या में लेखक इसे अपनी पुस्तकों में समाहित कर रहे हैं।


उन्होंने बताया कि पुस्तक में पंजाब के पहले इतिहासकार और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित गांदा सिंह सहित कई अन्य साहित्यिक एवं अकादमिक व्यक्तियों की दिलचस्प जीवनी को भी शामिल किया गया है। ज्ञात हो कि गांदा सिंह ने एएमयू में प्रोफेसर मोहम्मद हबीब की देखरेख में डॉक्टरेट की थीसिस लिखी थी।


जनसंपर्क कार्यालय के प्रभारी प्रोफेसर एम शाफे किदवाई ने कहा कि कहानी पंजाब, पंजाबी भाषा सहित्य के कई पहलुओं को उजागर करता है और यह बताता है कि नए पाठक क्या पढ़ना चाहते हैं। इस संस्करण में कहानियों, लेखों, निबंधों और संवादों में दिन-प्रतिदिन की घटनाओं सहित सदी के पूर्वार्ध में पंजाब के उभरते हुए चेहरे, विभाजन की पीड़ा, बदलते शहरी परिदृश्य और इस प्रकार बदलते सामाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने पर चर्चा की गई है।


उन्होंने कहा कि यह संस्करण डा० क्रांति पाल की महत्वपूर्ण तीक्ष्णता और संपादन प्रतिभा को प्रदर्शित करता है।
पत्रिका की मानद सहायक संपादक डा० जसविंदर कौर और जीशान अहमद (एपीआरओ) भी इस दौरान मौजूद रहे।
इस अंक में पलागुम्मी साईनाथ, पद्मा सचदेवा, देव दलगीर, बलविंदर सिंह, सिमरन धालीवाल, आगाज वीर, भूपेंद्र सिंह मान, अनमन आरिफ, भोला सिंह संघेड़ा, दर्शन जोगा, सिमी प्रीत कौर, केसरा राम, बिंदर बसरा, अंजना शिवदीप, सखदेव सिंह मान, अमरजीत सिंह मान, कुलदीप कौर, जसपाल सिंह, हरीश, प्रोफेसर कमलनाथ झा तथा अशोक सिंह सहित अन्य द्वारा लिखित लघु कथाएँ, लेख, जीवनी रेखाचित्र और संवाद शामिल हैं।

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