शिक्षा को काम की दुनिया से जोड़ा जाना चाहिए : प्रो जे एस राजपूत

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षक शिक्षा (एनईपी)-2020 पर वेबिनार

अलीगढ़, 16 जुलाईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के तत्वाधान में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षक शिक्षा’ पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें नई शिक्षा नीति में शिक्षकों के लिए योग्यता के आधार पर कार्यकाल, पदोन्नति, शिक्षकों की वेतन संरचना, प्रोत्साहन और मूल्यांकन की प्रणाली की योग्यता आधारित संरचना पर प्रकाश डाला गया।

पद्मश्री प्रो जे एस राजपूत (पूर्व निदेशक, एनसीईआरटी और यूनेस्को में भारत के प्रतिनिधि) ने सिफारिश की कि शिक्षा को काम की दुनिया से जोड़ा जाना चाहिए और इसे देश की संस्कृति और परंपराओं में गहराई से निहित होना चाहिए। उन्होंने महात्मा गांधी और डा जाकिर हुसैन के जीवन और कार्यों पर बात की।

एएमयू कुलपति प्रो तारिक मंसूर ने सभी स्तरों पर शिक्षकों की गुणवत्ता और शिक्षा के संबंध में कई प्रासंगिक मुद्दों पर बात की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एनईपी उन शिक्षकों के लिए नीतियों का सुझाव देता है जो पहले से ही सेवा में हैं। इन नीतियों में अनिवार्य पाठ्यक्रम, राष्ट्रीय पेशेवर मानकों की स्थापना, नो ट्रांसफर पालिसी और देश भर के स्कूलों में हायरिंग और रिक्तियों के डिजिटल प्रबंधन के विषय शामिल हैं।

प्रो नसरीन (अध्यक्ष, शिक्षा विभाग) ने ऐसे समय में जब नीति निर्माता, विशेषज्ञ और शिक्षक दो साल से चार वर्षीय एकीकृत बी.एड. कार्यक्रम प्रारंभ करने को लेकर एक बड़े बदलाव की बात कर रहे हैं, एनईपी 2020 के अन्तर्गत शिक्षक शिक्षा को महत्व प्रदान करने के लिए वेबिनार के आयोजन की आवश्यकता के बारे में बात की। उन्होंने स्वागत भाषण भी दिया।

प्रोफेसर मोहम्मद अख्तर सिद्दीकी (अध्यक्ष, एनसीटीई) ने जोर देकर कहा कि कुशल मान्यता प्राप्त एजेंसियों को बहाल कर मुनाफाखोरी करने वाले शिक्षण संस्थानों को समाप्त कर देना चाहिए।

प्रोफेसर आशीष श्रीवास्तव (डीन, स्कूल आफ एजुकेशन, महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी, मोतिहारी, बिहार) ने भारतीय शिक्षा में बौद्धिक परंपरा के समग्र विकास पर जोर दिया और मूल्य आधारित शिक्षा के महत्व के बारे में बताया।

प्रोफेसर जेसी अब्राहम (जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली) ने बताया कि इस सर्व-समावेशी शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ‘आत्म-साक्षात्कार’ प्राप्त करना है।

प्रोफेसर नील रतन राय (प्रमुख, शिक्षा विभाग, तेजपुर विश्वविद्यालय, असम) ने सलाह दी कि शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के दौरान शिक्षकों की शिक्षा के प्रमुख पाठ्यक्रम क्षेत्र – केस स्टडी, सिमुलेशन शिक्षण और क्रिया अनुसंधान को विशेष महत्व दिया जाना चाहिए।

प्रोफेसर प्रदीप कुमार मिश्रा (शिक्षा विभाग, सीसीएस विश्वविद्यालय, मेरठ) ने भारतीय परंपरा में शिक्षा पर भारत की सामंजस्यपूर्ण संस्कृति की गौरवशाली विरासत के उदाहरणों के साथ बात की।

प्रोफेसर निसार अहमद (डीन, सामाजिक विज्ञान संकाय) ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया और शिक्षकों से देश में शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए वेबिनार में दिए गए सुझावों को ध्यान में रखने का आग्रह किया।

समापन समारोह में मुख्य अतिथि प्रो सरोज शर्मा (अध्यक्ष, एनआईओएस, नोएडा) ने एनईपी-2020 के सफल कार्यान्वयन के लिए आशावादी विचार व्यक्त किए।

गेस्ट आफ आनर, डा बनवारीलाल नाटिया (अध्यक्ष, एनसीटीई क्षेत्रीय कार्यालय, जयपुर) ने शिक्षक शिक्षा प्रावधानों के कार्यान्वयन के लिए नीति निर्देशों पर चर्चा की।

प्रो मुजीबुल हसन सिद्दीकी ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। वेबिनार में देश के विभिन्न हिस्सों से 500 से अधिक लोगों ने भाग लिया।

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