खरगोन में सरकारी मशीनरी और पुलिस प्रशासन का पक्षपातपूर्ण रवैया शर्मनाक


– जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी के निर्देश पर जमीयत के प्रतिनिधिमंडल ने खरगोन का दौरा किया, प्रभावित परिवारों से मुलाकात की

– खरगोन पुलिस प्रशासन से मुलाकात करके प्रतिनिधिमंडल ने सच्चाई का आईना दिखाया, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के सुप्रीम कोर्ट में किए गए दावे गलत पाए गए

Jamiat Delegation Visit

नई दिल्ली, 10 मई 2022ः जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी के नेतृत्व में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक सम्मानित प्रतिनिधिमंडल ने खरगोन के दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। इस प्रतिनिधिमंडल में जीमयत उलेमा मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष हाजी मोहम्मद हारून और स्थानीय जमीयत उलेमा के कई पदाधिकारी शामिल थे। प्रतिनिधिमंडल ने दंगा पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात की और वहां चल रहे राहत कार्यों की समीक्षा की और उन्हें आश्वासन दिया कि जमीयत बिना किसी धर्म या जात-पात के भेदभाव के जरूरतमंदों की हर संभव मदद करेगी। प्रतिनिधिमंडल ने विशेष रूप से मोहन टॉकीज, तालाब चौक, छोटी मोहन टॉकीज, काजीपुरा, संजय नगर, आनंद नगर, खसखस वाड़ी दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। इस मौके पर प्रतिनिधिमंडल ने दंगों में शहीद हुए अबरीश खान के परिजनों से भी मुलाकात की।

Delegation meeting with District Administration.

प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी अनुराग पी और एसपी सिद्धार्थ चौधरी से मुलाकात की और निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की। इसके साथ ही पुलिस प्रशासन की तरफ से भेदभावपूर्ण कार्रवाई पर चिंता व्यक्त की। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रतिनिधिमंडल ने शिकायत की कि बुलडोजर चलाए जाने के दौरान हिंदू और मुस्लिम दुकानदारों के बीच पक्षपात किया गया। उन्होंने इस सम्बंध में वह तस्वीर भी साझा की जिसमें दाईं और बाईं ओर बहुसंख्यक वर्ग के लोगों के होटल हैं और बीच में अलीम भाई मुस्लिम व्यक्ति का होटल है। बुलडोजर हमले में केवल मुस्लिम व्यक्ति का होटल तोड़ा गया जो बेहद शर्मनाक और एक वर्ग में अविश्वास पैदा करने वाली कार्रवाई है। इसी तरह पुलिस ने अपनी कार्रवाई में मुसलमानों के घरों पर हमला किया और वहां उपस्थित महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया। साथ ही पुलिस की मौजूदगी में बदमाशों ने आगजनी की, मुसलमानों के धार्मिक स्थानों को निशना बनाया गया और पुलिस खामोश तमाशाई बनी रही। इसका उदाहरण दंगाइयों द्वारा थाना मंडी के पास एक मस्जिद में की गई आगजनी है। वीडियो में साफ है कि पुलिस ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने पुलिस प्रशासन के समक्ष सभी शिकायतों को मजबूती से रखा। साथ ही होटल वाले अलीम भाई से मिलकर उनका दुख साझा किया और कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद उनको न्याय दिलाने का हर संभव प्रयास करेगी।

इस बीच, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस बात की जांच की कि क्या यहां दंगों के बाद मुसलमानों के अलावा किसी अन्य वर्ग की संपत्ति को भी बुलडोजर से निशाना बनाया गया, तो यह निष्कर्ष निकल कर समाने आया कि केवल मुसलमानों की ही संपत्तियों को निशाना बनाया गया हैं। हालांकि, 21 अप्रैल 2022 को सुप्रीम कोर्ट में भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक हलफनामा दिया था कि खरगोन विध्वंस में 88 प्रभावित पक्ष हिंदू थे और 26 मुसलमान थे। श्री तुषार मेहता का यह बयान भ्रामक और तथ्यों के विपरीत है। वहां जिन 26 लोगों के घर बुलडोजर हमले की चपेट में आए हैं, वे सभी मुसलमानों के हैं। जमीयत के पास इन मुसलमानों की सूची उनके संपर्क नंबरों समेत मौजूद है। जिनके मकानों और दुकान पर सांप्रदायिकतावादियों ने हमला किया और उसे जला दिया या लूटपाट की, उनमें विधवाओं और विकलांगों के घर भी शामिल हैं।

खसखस वाड़ी क्षेत्र के उन लोगों की सूची, जिनके घरों को जिला प्रशासन ने बुलडोजर हमले में तोड़ दिए, वह इस प्रकार हैं..

(1) हसीना बी विधवा फारूक (2) मोहम्मद अब्दुल हकीम (3) सुल्तान बिन गुलशीर (4) आरिफ सादिक (5) अमीन सैयद नजीर (6) राशिद बिन जुमा (7) सादिक बिन कल्लू (8) सलीम बिन नवाब मोम्मद (9) आशिक बिन अजीज (10) आबिद बिन अजीज (11) सलीम बिन रुस्तम (12) नफीस बिन पप्पू (13) रशीदा पत्नी माजिद (14) नसीम माजिद (15) रफीक आलम (16) सेजू बिन अजीज (17) मजहर बिन निसार (18) यूनिस बिन इस्हाक (19) इकबाल बिन हबीब (20) जुबैर बिन अब्दुल गनी (21) समीर बिन जुबैर (22) सुल्तान बिन अब्दुल्ला (23) फारूक बिन अब्दुल्ला सत्तार (24) अय्यूब बिन मासूम (25) फराज खान (26) कमर बिन शरीफ

इसी तरह 53 परिवार ऐसे भी हैं जिनके घरों को दंगों के दौरान साम्प्रदायिक तत्वों ने तोड़ दिए या उसमें लूटपाट की गई, लेकिन पुलिस प्रशासन या स्थानीय प्रशासन द्वारा ऐसा करने वालों के घरों पर बुलडोजर नहीं चलाया गया जो घोर भेदभाव दर्शाता है। यह सूची उन लोगों की है जिनके मामले पुलिस स्टेशन में दर्ज किए गए हैं। बाकी कई अन्य हैं जो अब तक सामने नहीं आए हैं। इस सम्बंध में सर्वेक्षण की प्रक्रिया जारी है। ऐसी तस्वीरें मौजूद हैं जिनसे दंगाइयों की पहचान की जा सकती है लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जबकि इसके विपरीत दो सौ से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से लगभग सभी मुसलमान हैं।

मीडिया से बातचीत करते हुए महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी और प्रदेश अध्यक्ष हाजी मुहम्मद हारून ने कहा कि जमीयत उलेमा देश में शांति और सद्भाव के लिए काम करती है। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने अतिक्रमण के नाम पर मस्जिदों और अल्पसंख्यकों की दुकानों एवं होटलों को गिराया, यह गलत है। प्रशासन को दंगों को रोकने के लिए दोनों पक्षों के बीच शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए काम करना चाहिए, लेकिन जो लोग दंगों में शामिल नहीं थे, उनकी दुकानें तोड़ दी गईं। हमारी मांग है कि प्रशासन दोषियों को सजा दे और अतिक्रमण के नाम पर उनके परिवारों बेघर न करे।

जमीयत के प्रतिनिधिमंडल में उक्त व्यक्तियों के अलावा प्रदेश उपाध्यक्ष रियाजुद्दीन शेख, जिला अध्यक्ष हाफिज तैय्यब, उपाध्यक्ष हाफिज इदरीस, सचिव सैय्यद कमर अली, हबीब आजाद, कारी मुबारक, हाफिज जाकिर, अलीम शेख, तौसीब मंसूरी, शाहरुख मिर्जा, सलमान, खान, गुड्डू शेख, डॉ. इमरान सम्मिलित थे।

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