इंद्र वशिष्ठ
दिल्ली पुलिस ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में हिंसा करने वाले एक भी अपराधी को अब तक गिरफ्तार नहीं किया है। इससे पुलिस अफसरों की भूमिका और काबिलियत पर सवालिया निशान लग गया है। यह आलम तब है जबकि मामले की तफ्तीश विशेष जांच टीम (एसआईटी) द्वारा की जा रही है। संसद में भी यह मामला उठाया जा चुका है।
एसआईटी कर रही है जांच-
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने संसद के मानसून सत्र में डीएमके सांसद दयानिधि मारन के सवाल के लिखित जवाब में बताया कि दिल्ली पुलिस ने जनवरी 2020 में जेएनयू परिसर में हुई हिंसा के संबंध में थाना वसंत कुंज (उत्तर) में तीन मामले दर्ज किए थे। इन मामलों की जांच करने के लिए अपराध शाखा की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) बनाई गई है।
जांच में गवाहों से पूछताछ, सीसीटीवी फुटेज इकट्ठा करना और उनका विश्लेषण कर चिह्नित संदिग्धों से पूछताछ शामिल है।
गृह राज्यमंत्री ने बताया कि दिल्ली पुलिस द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, इस मामले में किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
तफ्तीश कहां तक पहुंची?
लोकसभा सांसद दयानिधि मारन ने अपने सवाल में पूछा था कि जेएनयू परिसर में जनवरी 2020 में हिंसा हुई थी, उस हिंसा की जांच के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और इस मामले में दिल्ली पुलिस की जांच कहां तक पहुंची है? क्या अब तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी हुई है?
जेएनयू में नकाबपोश गुंडों का हमला-
5 जनवरी 2020 को जेएनयू कैंपस में छात्रों ने एक मार्च का आयोजन किया था।
इस दौरान बाहर से आए 50-60 लोगों/नकाबपोश गुंडों ने लाठी और लोहे की रॉड से छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया था। कैंपस के अंदर कई घंटों तक जबरदस्त हिंसा हुई, तोड़फोड़ की गई।
इस हमले में जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष को भी चोट आई थी। छात्रों ने इस हमले का आरोप अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के लोगों पर लगाया था।
हिंसा के मामले मे वसंत कुंज (उत्तर) थाने में तीन एफआईआर दर्ज की गई। मामलों की जांच अपराध शाखा को सौंप दी गई, अपराध शाखा ने एसआईटी बनाई। लेकिन पौने दो साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
संदिग्ध छात्र –
जबकि अपराध शाखा के डीसीपी जॉय तिर्की ने 10 जनवरी 2020 को बताया था कि हिंसा में शामिल जेएनयू अध्यक्ष समेत 9 छात्रों को पहचान कर ली गई है। पुलिस ने इनकी तस्वीरें भी जारी की थी। इनके नाम हैं चुनचुन कुमार,पंकज मिश्रा, आइशी घोष, वास्कर विजय,सुजेता तालुकदार, प्रिया रंजन, डोलन सावंत,योगेंद्र भारद्वाज,विकास पटेल।
इनमें सात वामपंथी समूहों, दो दक्षिणपंथी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े बताए गए।
दिल्ली पुलिस ने जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष ओईशी घोष के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की, जो खुद इस हमले में घायल हुई थी।
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इस मामले में आज तक भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है जबकि ऐसे कई वीडियो मौजूद हैं, जिनमें हिंसा होती साफ देखी जा सकती हैं। हमले के बाद से ही नकाबपोश हमलावरों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे।
इस तरह के एक वीडियो की मदद से एक नकाबपोश हमलावर की पहचान एबीवीपी से जुड़ी दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा कोमल शर्मा के रूप में की गई थी।
पुलिस की भूमिका पर सवाल-
जेएनयू में हिंसा के दौरान पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान लग गया था। ऐसे वीडियो भी वायरल हुए जिसमें हमला करने वाले पुलिस की मौजूदगी में आराम से वापस चले गए और पुलिस मूकदर्शक बनी रही।
इस हिंसा में छात्र, शिक्षक और सुरक्षागार्ड समेत 30 से अधिक लोग घायल हुए थे।
इस हिंसा के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन हुए थे।
(लेखक इंद्र वशिष्ठ दिल्ली में 1990 से पत्रकारिता कर रहे हैं। दैनिक भास्कर में विशेष संवाददाता और सांध्य टाइम्स (टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप) में वरिष्ठ संवाददाता रहे हैं।)