उर्दू विभाग में अंजुमन उर्दू मौअल्ला के तहत विद्यार्थियों ने अपने हुनर का प्रदर्शन किया

अलीगढ़, 17 अप्रैलः छात्र देश का भविष्य हैं, उनका सर्वांगीण विकास उज्ज्वल भविष्य की गारंटी है। लेकिन इस सुधार के लिए यह आवश्यक है कि छात्र पूरी लगन के साथ प़ढ़ाई करें और उपलब्ध संसाधनों और अवसरों का लाभ उठाएं। यह बात अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो मोहम्मद अली जौहर ने नव स्थापित राशिद अहमद सिद्दीकी सभागार में उर्दू मौअल्ला कार्यक्रम में बोलते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि अंजुमन उर्दू मौअल्ला छात्रों की रचनात्मक और अनुसंधान क्षमताओं को व्यक्त करने का सबसे अच्छा माध्यम है।

उन्होंने कहा कि स्थापना के बाद से इस संघ ने छात्रों के कौशल में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़े प्रमुख शिक्षक और लेखक इसके संरक्षक रहे हैं। विशिष्ट अतिथि उर्दू विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रख्यात साहित्यकार प्रोफेसर तारिक छतारी ने कहा कि नई पीढ़ी बहुत जाग्रत है उन्हें कोई गुमराह नहीं कर सकता बस उन्हें अपने लिए सही दिशा निर्धारित करने की जरूरत है उन्होंने कहा कि आजकल के छात्र बहुत जागरूक हैं हमसे अधिक अनुभवी हैं क्योंकि उन्हें हमारे अनुभव से लाभ उठाने का अवसर मिला है, और वे स्वयं जाग्रत और जाग्रत चित्त के युग में जी रहे हैं।

नूरशफा हम्द और आसिया (एमए उर्दू अंतिम वर्ष) ने मोहम्मद साहब की नात प्रस्तुत की, जबकि अंजुमन उर्दू माली के सचिव साजिद हसन रहमानी ने अंजुमन का परिचय दिया और इसके 123 साल के इतिहास पर एक लेख प्रस्तुत किया।

उर्दू विभाग के वरिष्ठ शिक्षक प्रोफेसर कमरुल हुदी फरीदी ने कहा कि छात्रों को किताबों से अपना रिश्ता बहुत मजबूत रखना चाहिए, किताबें ज्ञान का एक बड़ा स्रोत हैं।

प्रोफेसर सैयद सिराजुद्दीन अजमली ने कहा कि आप जो कुछ भी पढ़ें, पाठ के दौरान उसके स्वास्थ्य का ध्यान रखें, अर्थ के लिए शब्दकोष का प्रयोग करें. अतिशयोक्ति न करें। साथ ही तुकबंदी पर भी पूरा ध्यान दें, जो कुछ भी पेश करना हो उसे लिख लें। डॉ. इम्तियाज अहमद ने प्रोफेसर काजी अब्दुल सत्तार की एक कहावत का हवाला देते हुए कहा कि यहां सत्तर साल के बुजुर्ग के पांव लड़खड़ाने लगते हैं, इसलिए यहां बोलना बड़ी बात है!

इस मौके पर विभाग के विद्यार्थियों ने विभिन्न कवियों की रचनाएं, आलोचनात्मक निबंध व चुनिंदा शब्द प्रस्तुत किए। मुहम्मद वसीम (एमए अंतिम वर्ष) ने अली सरदार जाफरी की प्रसिद्ध कविता ‘आसिया जग अथा’ का विश्लेषण प्रस्तुत किया। छात्रा जाहिदा (एमए अंतिम वर्ष) ने गालिब की गजल ‘निकता चेन है गम दिल इस सनाय ना बने’ का पाठ किया। अपनी मातृभाषा में प्रस्तुत किया। मोहम्मद अरमान खान, मोहम्मद सलमान (एमए अंतिम वर्ष), इंजमामुल हक (सैन अलीग) बीए अंतिम वर्ष और यासिर अली बीए अंग्रेजी अंतिम वर्ष ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं।

कार्यक्रम के आयोजन की जिम्मेदारी सचिव उर्दू मौअल्ला साजिद हसन रहमानी व संयुक्त सचिव अब्दुल जलील ने संयुक्त रूप से अदा की, जबकि अब्दुल जलील ने उपस्थितजनों का धन्यवाद किया.

प्रो. जियाउर रहमान, डॉ. खालिद सैफुल्ला, डॉ. सुल्तान अहमद, डॉ. राशिद अनवर राशिद, डॉ. उमर रजा, डॉ. मोईद रशीदी, डॉ. मुहम्मद शरीक, डॉ. मामून रशीद, डॉ. मुहम्मद खलीक उज्जमान, डॉ. सरफराज अनवर, डॉ. शहाबुद्दीन व डॉ. मुहम्मद कैफ फरशुरी के अलावा बड़ी संख्या में छात्र-छात्रायें इस अवसर पर मौजूद रहे।

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