अलीगढ़ 2 मार्चः भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व चांसलर जस्टिस एएम अहमदी (अजीज मुशब्बर अहमदी) का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वे 91 वर्ष के थे।
उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए एएमयू के कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि जस्टिस अहमदी एक महान व्यक्तित्व के मालिक थे और एएमयू के उनके साथ घनिष्ठ और लंबे संबंध थे क्योंकि उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में दो कार्यकाल पूरे किये था।
उन्होंने कहा कि जस्टिस अहमदी का निधन एएमयू बिरादरी के सदस्यों के लिए एक व्यक्तिगत क्षति है। मैं उनके परिवार और दोस्तों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूँ और जन्नत में उनके लिए एक उच्च स्थान की प्रार्थना करता हूँ।
सुप्रीम कोर्ट से विदाई के बाद, न्यायमूर्ति अहमदी सितंबर 2003 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलाधिपति बने और जनवरी 2010 तक इस पद पर दो कार्यकाल तक रहे।
उनका जन्म 1932 में सूरत में हुआ था और 1994 से 1997 तक वह चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के प्रतिष्ठित पद पर आसीन रहे।
जस्टिस अहमदी ने अपना कानूनी करियर 1954 में शुरू किया था। उन्हें अहमदाबाद में सिटी सिविल एंड सेशन कोर्ट में नियुक्त किया गया था, और बाद में उन्हें गुजरात उच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया। उन्हें दिसंबर 1988 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया और 1994 में वह 26वें मुख्य न्यायाधीश बने।
इंद्र साहनी बनाम भारत संघ और इस्माइल फारूकी बनाम भारत संघ दो उल्लेखनीय निर्णय हैं जिनमें उन्होंने उच्च न्यायालय स्तर पर भाग लिया।
उन्होंने दिसंबर 1988 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में नामांकित होने से पहले राजीव-लोंगोवाल समझौता के हिस्से के रूप में रावी और ब्यास जल विवाद न्यायाधिकरण में भी काम किया।
न्यायमूर्ति अहमदी ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में 811 बेंचों में शामिल रह कर 230 से अधिक निर्णय लिखे।