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Thursday, April 25, 2024
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गीतांजलि श्री को इंटरनेशनल बुकर मिलने पर एएमयू में हर्ष का माहौल

गीतांजलि श्री को इंटरनेशनल बुकर मिलने पर एएमयू में हर्ष का माहौल
गीतांजलि श्री को इंटरनेशनल बुकर मिलने पर एएमयू में हर्ष का माहौल

अलीगढ़, 27 मईः प्रख्यात हिंदी कथा लेखिका गीतांजलि श्री को प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिलने की विलक्षण साहित्यिक घटना ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बिरादरी को काफ़ी उत्साहित किया है।

कुलपति, प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि प्रसिद्ध हिंदी कथा लेखिका, गीतांजलि श्री की रचनात्मक निपुणता को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली है क्योंकि वह हिंदी में लिखे गए अपने उपन्यास ‘रेत समाधि‘ के लिए अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार पाने वाली पहली भारतीय बनी हैं।

अपने बधाई संदेश में प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि गैर-यूरोपीय भाषा के उपन्यास को सर्वाेच्च साहित्यिक सम्मान मिलना एक दुर्लभ सफलता है और यह भारतीय रचनात्मकता की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति है।

कला संकाय के डीन प्रोफेसर इम्तियाज हसनैन ने कहा कि एएमयू के छात्र और शिक्षाविद इस बात से बेहद खुश हैं कि विभाजन के संकट और इसके अमिट प्रभाव की रोचक कहानी को यह पुरस्कार मिला है।

2019 के साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता, प्रोफेसर शाफे किदवई ने कहा कि “गीतांजलि ने विभाजन की अनसुलझी त्रासदी पर एक बहुत ही आकर्षक और परतदार कथा का सृजन किया है। पहले यू आर अनंतमूर्ति और इंतिज़ार हुसैन के उपन्यासों को इस पुरस्कार के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था, लेकिन यह अद्भुत सफलता प्राप्त कर प्रसिद्ध हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री दूसरों के लिए एक उदाहरण बन गयी हैं।

प्रोफेसर आशिक अली (अध्यक्ष, हिंदी विभाग) ने हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि अब पश्चिम ने भारत को केवल अंग्रेजी में लिखने वाले भारतीय लेखकों के चश्मे से ही न देखकर हिंदी में समृद्ध साहित्यिक परंपरा के माध्यम से भी देखना शुरू किया है। यह एक स्वागत योग्य कदम है।

प्रोफेसर आसिम सिद्दीकी (अध्यक्ष, अंग्रेजी विभाग) ने कहा कि गीतांजलि श्री के लेखन में एक 80 वर्षीय महिला नेत्री की मार्मिक कहानी के माध्यम से जीवन के सभी पहलुओं का सूक्ष्मता से चित्रण किया गया है। यह अकल्पनीय लगता है कि उन्हें 2018 में नोबेल पुरस्कार जीतने वाली पोलिश लेखिका ओल्गा टोकारकुज़क से अधिक पसंद किया गया।

प्रोफ़ेसर अज़रा मुसवी (निदेशक, महिला अध्ययन उच्च अध्ययन केंद्र) ने कहा कि हिंदी में नारीवादी लेखन की परंपरा पुरानी है और गीतांजलि श्री ने बंटवारे के दुखद और त्रासद घटनाक्रम को चित्रित कर उस समय को फिर से जीवंत बनाने की कोशिश की।

हिंदी समीक्षक श्री अजय बिसारिया (हिंदी विभाग) ने कहा कि गीतांजलि श्री एक जानी-मानी लेखिका हैं जिनके चार उपन्यास और लघुकथाओं के चार संग्रह प्रकाशित हुए हैं। उनका पुरस्कृत उपन्यास एक ऐसे मार्मिक क्षेत्र का सावधानीपूर्वक चित्रण करता है, जिस पर पहले भी बहुत कुछ लिखा जा चुका है। यह विभाजन के दौर की एक पारिवारिक गाथा है।

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