अलीगढ़, 14 मईः एक प्रसिद्ध प्रकृतिवादी, एएमयू वन्यजीव विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के पूर्व निदेशक डा असद रफी रहमानी ने वन्यजीव संरक्षण में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला और महिलाओं द्वारा भारत में की गई संरक्षण पहल की कहानियों को साझा किया। वन्यजीव विज्ञान विभाग, एएमयू द्वारा आयोजित आमंत्रित व्याख्यान में बोलते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि महिलाओं के पास संरक्षण निर्णय लेने में भाग लेने की इच्छा और ज्ञान है, लेकिन वर्तमान में सामुदायिक संरक्षण अभ्यास से हाशिए पर हैं। हमारा तर्क है कि सफल समुदाय-आधारित वन्यजीव संरक्षण के लिए अनुसंधान और कार्यवाही में महिलाओं को शामिल करना महत्वपूर्ण है।
डॉ रहमानी ने कहा एक अवसर को देखते हुए बिहार की श्रीमती जमाल आरा भारत की पहली महिला पक्षी विज्ञानी थीं, जिन्होंने पक्षियों पर 50 से अधिक वैज्ञानिक पत्रों का योगदान दिया।
छात्रों को गंभीरता से अध्ययन करने और भारत में वन्यजीव संरक्षण समस्या को हल करने में योगदान देने के लिए प्रेरित करते हुए, उन्होंने कहा कि अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भी वह सक्रिय रूप से संरक्षण गतिविधियों में लगे हुए हैं, विशेष रूप से लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, लेजर फ्लोरिकन और सारस जैसी कई प्रजातियों को बचाने के प्रयास कर रहे हैं।
प्रोफेसर अफीफुल्ला खान (अध्यक्ष, वन्यजीव विज्ञान विभाग) ने छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए अतिथि वक्ता का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि डॉ रहमानी का भारत में वन्यजीव संरक्षण पर काम करते हुए चालीस से अधिक वर्षों का शानदार करियर रहा है।
इस अवसर पर छात्रों एवं शोधार्थियों के अलावा डॉ शरद कुमार, डॉ कलीम अहमद, डॉ अहमद मसूद और डॉ सतीश कुमार अन्य शिक्षक उपस्थित थे। डॉ उरूस इलियास ने धन्यवाद ज्ञापित किया।