
अलीगढ़, 10 मईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शिक्षक और इंटरडिसिप्लिनरी नैनोटेक्नोलॉजी सेंटर (आईएनसी) के संस्थापक, प्रोफेसर अबसार अहमद ने स्वास्थ्य देखभाल में सुधार, कृषि क्षमता को बढ़ाने, प्रदूषण को कम करने और अन्य प्रभावी उपयोगों के साथ बिजली उत्पादन के लिए नैनोमटेरियल्स के बढ़ते अनुप्रयोगों पर प्रकाश डाला।
वह तमिलनाडू राज्य के बन्नारी अम्मान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सोसाइटी ऑफ इंडिया के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा ‘माइकोटेक्नोलॉजीः वर्तमान स्थिति और भविष्य के परिप्रेक्ष्य-एमटीपीएसएफपी 2022’ विषय पर आयोजित दूसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में ‘नैनो सामग्री का निर्माण और स्वास्थ्य देखभाल, कृषि, पर्यावरण, ऊर्जा और जीवन विज्ञान में उनके अनुप्रयोग’ पर मुख्य भाषण दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि नैनोमटेरियल्स का उपयोग हमारे समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक अर्थात पर्यावरण के अनुकूल वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत कि खोज का समाधान है।
उन्होंने कहा कि रासायनिक उद्योग, ऑप्टिक्स, सौर हाइड्रोजन, ईंधन सेल, बैटरी, सेंसर, बिजली उत्पादन, वैमानिकी उद्योग, भवन निर्माण, ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, थर्माेइलेक्ट्रिक और फार्मास्यूटिकल्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नैनोमटेरियल्स के कई महत्वपूर्ण अनुप्रयोग हैं।
प्रोफेसर अबसार ने कहा कि नैनोस्केल पर 1 से 100 एनएम के बीच एक इकाई के आकार के बावजूद, नैनोमटेरियल्स तेजी से हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन रहे हैं। वैज्ञानिक नैनोकणों का उपयोग ट्यूमर को लक्षित करने, दवा वितरण प्रणाली में और चिकित्सा इमेजिंग में सुधार करने के लिए कर रहे हैं। पर्यावरण के अनुकूल और हरित विधियों द्वारा तैयार किए गए नैनोमटेरियल्स उर्वरक प्रक्रिया में सुधार के लिए कृषि क्षमता में वृद्धि कर रहे हैं, पौधों के विकास नियामकों, वांछित लक्ष्य स्थलों पर सक्रिय घटकों की कीटनाशकों की डिलीवरी, अपशिष्ट जल का उपचार और पौधों में पोषक तत्वों के अवशोषण को भी बढ़ा रहे हैं।
उन्होंने मिट्टी को दूषित करने और सतह और भूजल में माइग्रेट करने के लिए नैनोमटेरियल्स की क्षमता के बारे में बताया।
प्रोफेसर अबसार ने यह भी बताया कि कैसे नैनोपार्टिकल फ्यूल एडिटिव्स कार्बन उत्सर्जन को कम करने और दहन ईंधन की दक्षता बढ़ाने में बहुत उपयोगी हो सकते हैं।