

अलीगढ़, 15 फरवरीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अली सोसाइटी के तत्वाधान में हजरत अली की जयंती समारोह अली दिवस के अवसर पर हज़रत अली की शिक्षाओं के प्रति उनकी बहादुरी, न्याय, नैतिकता, और ईमानदारी पर भाषण दिए गए।
अली दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आनलाइन भाषण देते हुए; मौलाना सैयद मुहम्मद रिज़वी ( इस्लामिक शिया इस्ना अशरी जमात, टोरंटो) ने कहा कि हज़रत अली को पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा माना जाता है और हमें उनकी शिक्षाओं का पालन करना चाहिए। उनके शासनकाल में समग्र विकास हुआ और सभी को भोजन, वस्त्र और आश्रय प्राप्त था। उन्होंने खुद बहुत ही सादा जीवन जिया। मौलाना मुहम्मद रिज़वी ने कहा कि हज़रत अली ने ज्ञान के प्रसार और प्राप्त करने पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा कि इमाम अली ने कहा है ज्ञान आपकी रक्षा करता है, जबकि आपको धन की रक्षा करनी होती है। खर्च करने से धन घटता है, जबकि खर्च करने से ज्ञान बढ़ता है। ज्ञान शासक है जबकि धन पर शासन किया जाता है।
मौलाना मुहम्मद रिज़वी ने इस बात पर जोर दिया कि मौला अली न केवल ज्ञान प्राप्त करने और फैलाने में विश्वास करते थे, बल्कि यह भी मानते थे कि ईश्वर का सबसे पूर्ण उपहार ज्ञान पर आधारित जीवन है।
अध्यक्षीय भाषण में एएमयू के कुलपति प्रो तारिक मंसूर ने कहा कि इस्लामिक कैलेंडर में रजब महीने की 13 तारीख को हजरत अली का जन्म मक्का में इस्लाम में सबसे पवित्र स्थान काबा के परिसर में हुआ था।
उन्होंने कहा कि एएमयू का नाम हजरत अली से जुड़ा है प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि ज्ञान प्राप्त करने पर हज़रत अली की शिक्षाओं की तरह, एएमयू देश में उच्च शिक्षा के लिए सबसे अच्छे केंद्रों में से एक के रूप में प्रगति कर रहा है।
उन्होंने कहा कि हज़रत अली के व्यक्तित्व के अनेक पहलु पैगंबर मुहम्मद साहब के समान थे क्योंकि उन्हें पैगंबर और उनकी पत्नी हज़रत खदीजा ने पाला था।
कुलपति ने कहा कि अपने उच्च पद के बावजूद हज़रत अली ने विनम्रता का जीवन जिया। आइए हम ज्ञान की खोज में हजरत अली के जीवन से प्रेरणा लेकर उनका पालन करना शुरू करें।
उन्होंने जोर देकर कहा कि हज़रत अली के उपदेश ज्ञान का खजाना हैं और उनका शैक्षिक प्रवचन चिकित्सा, खगोल विज्ञान और दर्शन तक फैला हुआ है।
प्रोफेसर मंसूर ने कहा कि ईश्वर के दूत मोहम्मद साहब ने कहा कि मैं ज्ञान का शहर हूं और अली इसका द्वार हैं।
अतिथि वक्ता मौलाना हबीब अहमद अल हुसैनी (संस्थापक, अल हिदाया फाउंडेशन) ने कहा कि इमाम अली के कई गुणों और विशेषताओं का वर्णन हदीसों और पुस्तकों में मिलता है।
पश्चिमी विद्वानों ने हजरत अली के बारे में जो कहा और लिखा है, उस पर बोलते हुए मानद अतिथि, सैयद मदद अली (अध्यक्ष, फातिमा विश्वविद्यालय, न्यूयार्क) ने टिप्पणी की कि फिलिप हिट्टी, सर विलियम म्योर और प्रो निकोलसन जैसे कई लेखकों ने लिखा है कि हज़रत अली कैसे सौम्य और परोपकारी, वाणी में वाक्पटु, मित्रों के प्रति सच्चे और युद्ध में पराक्रमी और बुद्विमान थे।
उन्होंने जार्ज जोर्डैक की पुस्तक, ‘द वायस आफ ह्यूमन जस्टिस’ के बारे में भी बताया, जो मुस्लिम समुदाय के मार्गदर्शक के रूप में हजरत अली के त्रुटिहीन न्याय का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करती है।
यूएई स्थित अतिथि कवि सैयद अमान हैदर जैदी ने हजरत अली के जीवन पर आधारित मनकबत (कविता) प्रस्तुत की। इसी तरह की कविताओं का पाठ एएमयू के छात्र अर्श ने भी किया।
स्वागत भाषण में प्रो तैयब रज़ा (अध्यक्ष, शिया धर्मशास्त्र विभाग) ने कहा कि इमाम अली को आज तक उनके ज्ञान, पवित्र पैगंबर मुहम्मद साहब के प्रति वफादारी, सभी लोगों के लिए उनके समान व्यवहार और पराजित शत्रुओं को क्षमा करने में उनकी उदारता के लिए जाना जाता है।
प्रो आबिद अली खान (अध्यक्ष, अली सोसाइटी) ने धन्यवाद व्यक्त किया।
इस अवसर पर प्रोफेसर मोहम्मद वसीम अली (प्राक्टर), प्रोफेसर एफएस शेरानी (डीन, यूनानी चिकित्सा संकाय), प्रोफेसर अली मोहम्मद नकवी (निदेशक, सर सैयद अकादमी), प्रोफेसर निशात फातिमा (विश्वविद्यालय पुस्तकालयाध्यक्ष), डा मोहम्मद शाहिद (उप निदेशक), प्रोफेसर परवेज कमर रिज़्वी, डा सैयद अली नवाज जैदी (कानून विभाग), प्रोफेसर लतीफ हुसैन शाह काज़मी (अध्यक्ष, दर्शनशास्त्र विभाग), डा. एसएम मुस्तफा और अन्य संकाय सदस्यों ने आफलाइन एवं आनलाइन माध्यम से कार्यक्रम में भाग लिया।
रज़ा हैदर जैदी ने अली सोसाइटी की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की और साइम रज़ा ने अली दिवस कार्यक्रम का संचालन किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय की मौलाना आजाद लाइब्रेरी ने हजरत अली से संबंधित पांडुलिपियों की प्रदर्शनी लगाई गई जिसमें हजरत अली द्वारा हस्तलिखित पवित्र कुरान की एक प्रति भी शामिल है।