अलीगढ़, नवंबर 26ः डाक्टर रिफत परवेज नघमी (गारलैंड, टेक्सास, यूएसए) ने ‘एसजीएलटी-2 इनहिबिटर्स‘ विषय पर आयोजित एक आनलाइन व्याख्यान में एसजीएलटी -2 अवरोधकों के काम करने और गुर्दे को ग्लूकोज को वापस रक्त में अवशोषित करने से रोकने के तरीके पर प्रकाश डाला जबकि डाक्टर निलोफर सैयद (सहायक प्रोफेसर, साउथवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, डलास, यूएसए) ने ‘गठिया से सम्बंधित हाल के दिशानिर्देश’ विषय पर गठिया के प्रबंधन के लिए मार्गदर्शन, यूरेटलोअरिंग थेरेपी के संकेतों और बेहतर उपयोग, गठिया में बढ़ोत्तरी के उपचार, और जीवनशैली और प्रस्तावित दवाओं पर चर्चा की।
उक्त दोनों वार्ताओं का आयोजन अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज के मेडिसिन विभाग के आनलाइन विस्तार व्याख्यान कार्यक्रम के अंतर्गत अलग अलग दिनों में किया गया था।डाक्टर रिफत ने जोर दिया किएसजीएलटी-2 अवरोधक टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों के लिए उपयुक्त हो सकते हैं जिनके रक्त ग्लूकोज का स्तर मेटफार्मिन और इंसुलिन जैसे दवाओं के बावजूद उच्च होता है, लेकिन नेफ्रोपैथी जैसी गुर्दे की बीमारियों वाले लोगों को इस की अनुशंसा नहीं की जाती है जो दवा को अच्छी तरह से काम करने से रोकता है। उन्होंने एसजीएलटी2 अवरोधकों के कार्य और सामान्य दुष्प्रभावों पर चर्चा की।
डा निलोफर ने गठिआ के निदान और प्रबंधन के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि चूंकि गठिआ के रोगियों में आमतौर पर उच्च रक्तचाप और गुर्दे का कार्य बिगड़ा हुआ होता है, इसलिए गुर्दे और हृदय प्रणाली की जांच आवश्यक है। बुनियादी प्रयोगशाला परीक्षणों में एक पूर्ण रक्त कोशिका गणना, यूरिनलिसिस, और सीरम क्रिएटिनिन, ब्लड यूरिया नाइट्रोजन और सीरम यूरिक एसिड माप शामिल होना चाहिए।दोनों व्याख्यानों का संचालन करते हुए प्रोफेसर अंजुम मिर्जा चुगताई (अध्यक्ष, चिकित्सा विभाग) ने कहा कि ये विस्तार व्याख्यान रोगी देखभाल के अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और विश्व स्तर पर चिकित्सा अनुसंधान की बारीकियों के लिए एमडी (चिकित्सा) रेसीडेंट्स को नए आयामों से परिचित करते हैं। उन्होंने इस क्षेत्र में ज्ञान और अनुभव पर चर्चा की और शोध के लिए नए विचार साझा किये।








