स्तन के पैपिलरी घावों’ पर आनलाइन सीएमई
अलीगढ़, 15 सितंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कालेज के पैथोलाजी विभाग के शिक्षकों के लिए ‘स्तन के पैपिलरी घावः हम क्या जानते हैं और इसमें नया क्या है’ विषय पर एक आनलाइन सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) का आयोजन किया गया। इस सीएमई का उद्देश्य शिक्षकों को अपने ज्ञान और कौशल को बढ़ाने के साथ ही पेशे से सम्बन्घित सेवाओं और डाक्टर एवं मरीज के बीच के सम्बन्ध को बेहतर बनाने के लिये उनकी क्षमताओं का विकास करना था।
इस अवसर पर प्रोफेसर सईदुल हसन आरिफ (अध्यक्ष, पैथोलाजी विभाग) ने कहा कि स्तन के पैपिलरी घाव अपेक्षाकृत दुर्लभ होते हैं और कभी-कभी निदान करने के लिए थोड़ा भ्रामक और चुनौतीपूर्ण होते हैं। उन्हें नवीनतम तकनीकों के साथ एक्साइज करने की आवश्यकता है। स्तन के सही परीक्षण और मैमोग्राफी जांच के लिए डाक्टरों को आधुनिक तरीकों को जानने की जरूरत है। उन्हें अपनी कार्य क्षमता बनाए रखने और क्षेत्र में नए और विकासशील क्षेत्रों के बारे में जानने की भी आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि यह सीएमई शिक्षकों को सामयिक और प्रासंगिक चिकित्सा विषयों के विभिन्न पहलुओं पर अग्रणी चिकित्सकों के अनुभव एवं ज्ञान के माध्यम से नवीनतम नैदानिक क्रियाओं, अनुसंधान और तकनीकी विकास से अवगत कराएगा।
प्रथम सत्र के अतिथि वक्ता प्रोफेसर अशरफ खान (यूनिवर्सिटी आफ मैसाचुसेट्स मेडिकल स्कूल, यूएसए) ने ‘स्तन के पैपिलरी घावों के हिस्टोपैथोलाजिकल पहलुओं’ पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए स्तन के घावों में देखे जाने वाले आणविक दोषों के बारे में जानकारी प्रदान की।
उन्होंने यह भी बताया कि कैसे स्तन के पैपिलरी घाव नियोप्लाज्म के विषम समूह हैं, जिसमें सौम्य अंतर्गर्भाशयी पेपिलोमा, एटिपिकल पेपिलोमा और डक्टल कार्सिनोमा और पैपिलरी कार्सिनोमा के वेरिएंट शामिल हैं।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव डा बुशरा सिद्दीकी और डा रुकय्या अफरोज ने अतिथि वक्ता के व्याख्यान के बाद केस डिस्कशन किया। इस सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर वीणा माहेश्वरी और प्रोफेसर निशात अफरोज ने की।
अगले सत्र में, डा शाहबाज हबीब फरीदी (सर्जरी विभाग) ने ‘स्तन के सौम्य और घातक पैपिलरी घावों के सर्जिकल प्रबंधन पर चर्चा की और डा मोहसिन खान (रेडियोथेरेपी विभाग) ने ऐसे घावों के प्रबंधन में विकिरण, कीमोथेरेपी और हार्मोनल थेरेपी की भूमिका पर जोर दिया। ।
प्रोफेसर अफजाल अनीस (सर्जरी विभाग) और प्रोफेसर कफील अख्तर (पैथोलाजी विभाग) ने सत्र की अध्यक्षता की। प्रो सईदुल हसन आरिफ ने समापन भाषण दिया जबकि डा बुशरा सिद्दीकी ने आनलाइन कार्यक्रम का संचालन किया जिसमें देश भर से 175 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। डा रुकय्या अफरोज ने धन्यवाद ज्ञापित किया।