विभागों में अब नहीं हो सकेगा वीमेंस कॉलेज के शिक्षकों के साथ भेदभाव
रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर रियाजुद्दीन के मामले में एएमयू का महत्वपूर्ण फैसला
अलीगढ़। एएमयू के रसायन विज्ञान विभाग के प्रोफेसर रियाजुद्दीन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने रसायन विभाग और विज्ञान संकाय की शिक्षकों की वरिष्ठता सूची में वीमेंस कॉलेज के शिक्षकों को शामिल करने को अवैध बताया था। कोर्ट ने इस मामले में विश्वविद्यालय स्तर पर समिति का गठन कर जांच करने बात कही है। इसी आधार पर एएमयू के कुलपति ने एक कमेटी का गठन किया और इस मामले की जाँच की गई। जाँच समिति ने सभी पक्षों को सुना और एएमयू के अधिनियम का अवलोकन किया। जाँच के बाद समिति ने पाया कि प्रोफेसर रियाजउदद्ीन द्वारा लगाये गए सभी आरोप आधारहीन हैं। अतः वीमेंस कॉलेज के शिक्षकों को वरिष्टता की सूची में शामिल किया जाए जोकि एएमयू के अधिनियम के आधार पर तर्कसंगत है।
एएमयू रजिस्ट्रार मोहम्मद इमरान के अनुसार एएमयू द्वारा गठित समिति ने एकमत होकर निर्णय यह लिया है कि वीमेंस कॉलेज के शिक्षक विश्वविद्यालय के विभागों और संकायों के सदस्य हैं अतः विभाग और संकाय की वरिष्टता सूची में इनका नाम शामिल होना विधिसंगत और उचित है।
वीमेंस कॉलेज के शिक्षकों ने इस महत्वपूर्ण फैसले का स्वागत किया है। वीमेंस कॉलेज के शिक्षकों को वरिष्ठता सूची में शामिल करने का फैसला एक ऐतिहासिक फैसला है। यह फैसला उनके लिए एक लंबे समय से प्रतीक्षित फैसला है और शिक्षकों का विश्वास है कि इस फैसले से उन्हें न केवल न्याय मिलेगा बल्कि यह निर्णय वर्षों से हो रहे पक्षपात का भी अंत करेगा। साथ ही वीमेंस कॉलेज के शिक्षकों को भी अपने करियर में आगे बढ़ने के समुचित अवसर प्रदान करेगा। वीमेंस कॉलेज की शिक्षकों को यह भी कहना है कि विभागों में अक्सर वीमेंस कॉलेज की शिक्षकों के साथ भेदभाव होता था, लेकिन इस निर्णय से स्पष्ट हैं कि वीमेंस कॉलेज की महिला शिक्षकों के भी वही अधिकार हैं, जो विभाग के शिक्षकों को हैं।
वीमेंस कॉलेज के शिक्षकों को न केवल ़िद्वतीय श्रेणी के नागरिकों जैसा माना जाता है बल्कि उन्हें विभाग द्वारा दिये जाने वाले संसाधनों के वितरण में बराबरी के अधिकार से भी वंचित रखा जाता है। इस भेदभाव को लेकर वीमेंस कॉलेज के शिक्षक पहले भी आपत्ति जता चुके हैं और इस संबंध में गत दिनो, कुलपति को एक पत्र लिखकर विभागों द्वार होने वाले भेदभाव के बारे में अवगत भी कराया गया है। स्पष्ट है कि समिति के इस निर्णय के उपरांत वीमेंस कॉलेज के शिक्षकों से संबंधित कई भ्रांतियों से पर्दा उठ गया है और उनको बराबरी का अधिकार मिलना सुनिश्चित हुआ।