अलीगढ 4 मईः अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग की वरिष्ठ शिक्षिका प्रख्यात कावियत्री और अनुवादक प्रोफेसर समी रफीक द्वारा अनुवादित उर्दू काव्य संग्रह फरोजा़ः मार्डन उर्दू लव पोयम्स (हवाकाल 2023) का विमोचन एएमयू कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज द्वारा अंग्रेजी विभाग में आयोजित राष्ट्रीय कांफ्रेंस के दौरान किया गया। प्रो. समी रुीक ने उर्दू के प्रख्यात कवि एवं उर्दू विभाग के पूर्व शिक्षक स्व. मुईन अहसन जज्बी की उर्दू नज़्मों का अंग्रेजी में अनवुाद किया है।
प्रो गुलरेज ने एक महत्वपूर्ण उर्दू कवि का अनुवाद करने में प्रो समी रफीक के प्रयासों की सराहना की और अंग्रेजी शिक्षक होने के बावजूद उर्दू शायरी में उनकी रूचि को भी सराहा।
भारतीय अंग्रेजी कविता का जश्न मनाने के लिए समर्पित एक विशेष सत्र में कवि वनाविल के रवि और रानू उनियाल की मौजूदगी में प्रो रफीक ने जज्बी की प्रसिद्ध कविता ‘मौत’ और उसके अंग्रेजी अनुवाद पढ़कर सुनाया। प्रख्यात कवियों, आलोचकों, शिक्षाविदों और युवा विद्वानों की सभा को संबोधित करते हुए प्रो रफीक ने उर्दू शायरी के लिए अपने प्यार और प्रशंसा को व्यक्त किया और आशा व्यक्त की कि फरोजां भारत और विदेशों में बड़ी संख्या में पाठकों के लिए जज्बी के काव्य की परतें खोलने में सक्षम होंगे।
पुस्तक में जज्बी की शायरी से उनका परिचय और प्रसिद्ध उर्दू प्रोफेसर एस. वकार हुसैन के जज्बी पर प्रख्यात निबंध का अनुवाद भी शामिल है, जो कई पुस्तकों और पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुका है।
प्रख्यात साहित्यिक आलोचक एमएल रैना ने फरोजां को ‘साहसपूर्ण, प्रबुद्ध, अवशोषित और प्रामाणिक’ मानते हुए कहा कि यह पुस्तक जज्बी की कविता के अद्वितीय प्रगतिशील-रोमांटिक साँचे को सामने लाती है। अनुवाद दर्शकों को जज्बी की कविता की समझ, तीव्रता और जादू से जोड़ता है, और दुनिया भर के कविता प्रेमियों को आनंदित करने का एक उपक्रम है।
प्रो रफीक ने अनुवाद की कई पुस्तकों के अलावा कई लेख, कहानियाँ और कविताएँ प्रकाशित हो चुकी हैं। जलवायु और प्रकृति पर उनका कविता संग्रह ‘वुमन इन द ट्रीज’, 2022 में हवाकाल द्वारा प्रकाशित किया गया था।