Google search engine
Friday, April 19, 2024
Google search engine
Google search engine

एएमयू के अजमल खां तिब्बिया कालिज में अमराज-ए-निस्वां-व-अतफाल विभाग में सीएमई का आयोजन

अलीगढ़, 26 सितंबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के यूनानी चिकित्सा संकाय के अंतर्गत अमराज़-ए-निस्वां-व-अत्फ़ाल (स्त्री एवं बाल शिशु विभाग) के चिकित्सकों और शिक्षकों को उनके नैदानिक अभ्यास से संबंधित नए शोध और नवीनतम विकास से अवगत कराने के लिए आयुष मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अंतर्गत सप्ताह भर चलने वाली सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) का आयोजन किया गया।
यूनानी, सिद्ध और सोवा-रिग्पा बोर्ड, भारतीय चिकित्सा प्रणाली राष्ट्रीय आयोग, नई दिल्ली के अध्यक्ष, डॉ के जगन्नाथन ने कहा कि आधुनिक शोध आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी जैसे पारंपरिक औषधीय प्रणालियों की प्रभावशीलता को स्वीकार करता है; लेकिन यह अनिवार्य है कि इन प्रणालियों को मुख्यधारा में लाया जाए। वह सीएमई उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

Advt. bharatdigitalacademy


डॉ जगन्नाथन ने कहा कि हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में सुपर-स्पेशियलटी स्थापित करना है।
उन्होंने गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल के लिए नैदानिक अभ्यास में साक्ष्य आधारित भारतीय पारंपरिक चिकित्सा को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया और इस बारे में बात की कि कैसे आजादी का अमृत महोत्सव का अवसर पारंपरिक चिकित्सा में, विशेष रूप से बच्चों के स्वास्थ्य क्षेत्र में विकास को प्रदर्शित करने का यह एक अवसर है।
उद्घाटन सत्र की की अध्यक्षता करते हुए, एएमयू कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने यूनानी और पारंपरिक दवाओं की अन्य प्रणालियों के उद्योग के साथ सहयोग करने का आह्वान किया ताकि आगे की गुणवत्ता और नियंत्रण संबंधी मुद्दों, फार्माकोविजिलेंस, बेहतर नैदानिक परीक्षणों और अनुसंधान और विकास के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
उन्होंने अंतःविषयी अनुसंधान पर जोर दिया और यूनानी शिक्षकों को विशेष ज्ञान के दो या दो से अधिक विषयों से सूचना, डेटा, तकनीक, उपकरण, अवधारणाओं और सिद्धांतों को एकीकृत करने के लिए प्रोत्साहित किया।
कुलपति ने कहा कि भारत सरकार ने यूनानी सहित आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने और प्रचारित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए हैं। यह भारतीय पारंपरिक चिकित्सा को दुनिया भर में स्थापित करने और वैश्विक स्वास्थ्य मामलों में नेतृत्व प्रदान करने का एक अच्छा मौका है।
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर राकेश भार्गव (डीन, मेडिसिन संकाय और जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल) ने कहा कि अमराज़-ए-निस्वान-वा-अत्फ़ल सहित चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के बाल चिकित्सा विभागों में प्रगति महत्वपूर्ण है। स्वस्थ बच्चे देश के स्वस्थ भविष्य को सुनिश्चित करते हैं।
प्रोफेसर शगुफ्ता अलीम (प्रिंसिपल, अजमल खान तिब्बिया कॉलेज) ने कहा कि बच्चों के लिए स्वास्थ्य का अधिकार महत्वपूर्ण है क्योंकि जब उन्हें बीमारी से बचाया जाता है, तो वे स्वस्थ वयस्कों में विकसित हो सकते हैं, और इस तरह, गतिशील और उत्पादक समाज के विकास में योगदान करते हैं।
अमराज़-ए-निस्वान-वा-अत्फ़ल विभाग की अध्यक्ष और सीएमई आयोजन सचिव, प्रो सुबूही मुस्तफा ने बताया कि कैसे छह दिवसीय सीएमई में होने वाले विभिन्न सत्र प्रतिभागियों को यूनानी चिकित्सा मूल सिद्धांतों के बारे में अपने ज्ञान को बढ़ने करने में मदद देंगे।
प्रो सैयदा आमिना नाज़ (सीएमई सह-आयोजन सचिव) ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ फहमीदा जीनत ने किया।
सीएमई का समापन 1 अक्टूबर को होगा।

Get in Touch

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Google search engine

Related Articles

Google search engine

Latest Posts