एएमयू में पांच दिवसीय ज्ञान कोर्स का आयोजन, अमेरिका से पहुंची एक्सपर्ट
अलीगढ़, 26 जुलाईः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वीमेन्स कॉलेज के हिंदी सेक्शन और ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क्स (ज्ञान) के पांच दिवसीय पाठ्यक्रम का उद्घाटन एएमयू के सह कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज ने किया। अमेरिका से आई एक्सपर्ट ने अनुवाद के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और अनुवाद में रोजगार की आपार संभावनाओं से अवगत कराया।
उद्घाटन समारोह के अध्यक्षीय भाषण में सहकुलपति प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज कहा कि अनुवाद दूसरे देशों के संबंधों को मजबूत करने का काम कर रहा है और वैश्विक स्तर पर अनुवाद ही हिंदी भाषा को पहचान दिला रहा है। सोशल मीडिया की क्रांति ने अनुवाद में और अधिक रोजगार की संभावानाओं को पैदा कर दिया है। आज विदेशों में भी हिंदी भाषा को अपनाया जा रहा है, यह सब अनुवाद का कमाल है।
अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी से आई एक्सपर्ट प्रेमलता वैश्नवा ने कहा कि अनुवाद ने दुनिया को एक नई पहचान दिला रहा है। वो चाहे साहित्यिक क्षेत्र हो या फिर तकनीकी। हर देश में अनुवादक की आवश्यकता है। अमेरिका में अनुवाद विषय के रूप में बहुत अधिक विस्तार हो रहा है। वहां की युनिवर्सिटी अनुवाद को एक उभरता हुआ विषय मान रही है और इस पर लगातार अनुंसधान जारी है।
वीमेंस कॉलेज की प्रिंसिपल नाईमा खातून ने अमेरिका की मिशिगन यूनिवसिर्टी से आई फोरेन एक्सपर्ट प्रेमलता को धन्यवाद देते हुए कहा कि कॉलेज के शिक्षकों का शिक्षा की उन्नति के लिए महत्वपूर्ण योगदान है। भारत सरकार केे शिक्षा मंत्रालय के सहयोग से आयोजित ‘वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हिंदी अनुवाद की उपयोगिता’ विषय पर ज्ञान पाठ्यक्रम से शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए नये रास्ते खुलेंगे। उन्होंने सभी से आह्वान किया इस प्रकार से कोर्स और वर्कशॉप लाने के लिए जद्दोजेहद करनी होगी ताकि एएमयू की रैंकिंग और अधिक बढ़ सके।
एएमयू के हिंदी विभाग के प्रोफेसर शंभूनाथ ने कहा कि अनुवाद से न के एक दूसरे की भाषा को समझा जा सकता है बल्कि संस्कृति और परंपर को भी अच्छी तरह से समझा जा सकता है। उन्होंने शकुंतला नाटक का उदाहरण देते हुए बताया आज दुनिय का हर देश शकुंलता के बारे में जानता है क्योंकि इसका अनुवाद कई भाषाओं में हुआ। अगर इसका अनुवाद नहीं हाता तो इसे इतनी अधिक पहचान नहीं मिल पाती।
कला संकाय केे डीन प्रोफेसर एस इम्यिाज हसनैन ने कहा कि अनुवाद का क्षेत्र बहुत अधिक व्यापक होता जा रहा है यह न केवल एक भाषा में सिमट कर रह गया है बल्कि दुनिया की हर भाषा में अनुवाद हो रहा है। अनुवाद का अर्थ केवल भाषा को बदलना नहीं बल्कि उसकी संस्कृति और पंरपरा और भाव को भी बदलना है।
ज्ञान के स्थानीय समन्वयक प्रो. एम.जे. वारसी ने कहा कि यह गर्व की बात है कि एएमयू में इतनी अधिक संख्या में शिक्षक ज्ञान कोर्स के प्रस्ताव भेज रहे हैं और इसमें बड़ी संख्या में प्रस्ताव पास भी हुए। यह एएमयू के लिए गर्व की बात है। उन्होंने स्वागत भाषण देते हुए अवगत कराया कि देश में कई हजार युनिवर्सिटी है,, लेकिन 2163 ज्ञान पाठ्यक्रम ही पास हुए और 1666 पाठ्यक्रमों को देश भर में पूरा करा लिया गया है।
ज्ञान की पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. नाजिश बेगम ने कोर्स का परिचय देते हुए कहा कि ‘वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हिंदी अनुवाद की उपयोगिता’ विषय का चयन करने का उद्देश्य दूसरे देशों में हिंदी भाषा को प्रचारित करना है। उन्होंने कहा कि विश्व की कई भाषाओं की धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, साहित्यिक एवं वैज्ञानिक पुस्तकों के हिंदी-अनुवाद ने भारतीय अनुवाद की परंपरा को समृद्ध करने के साथ साथ देश के नवनिर्माण में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
अन्त में डॉ. शगुफ्ता नियाज ने सभी का धन्यवाद करते हुए कहा कि ज्ञान का यह कोर्स प्रतिभागियों के लिए लाभदायक होगा और प्रतिभागी इससे कुछ सीखेंग।