भवनों की भूकंपीय सुरक्षा को लेकर एएमयू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में मंथन


अलीगढ़, 5 अक्टूबरः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कालिज आफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नालोजी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा ‘भवनों की भूकंप से सुरक्षा’ विषय पर एआईसीटीई ट्रेनिंग एण्ड लर्निंग एकेडमी के सहयोग से एक सप्ताह का आनलाइन फैकल्टी डेवेलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) का आयोजन किया गया।


उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रो परवेज मुस्ताजाब (डीन, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संकाय) ने भवनों की भूकंपीय सुरक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भूकंप के दौरान जमीनी कंपन भवनों में बल और विकृति का कारण बनते हैं। इसलिए संरचनाओं को ऐसी ताकतों और विकृतियों का सामना करने के लिए डिज़ाइन करने की आवश्यकता है। भूकंपीय कोड संरचनाओं के व्यवहार में सुधार करने में मदद करते हैं ताकि वे जीवन और संपत्ति के संभावित नुकसान के बिना भूकंप के प्रभावों का सामना कर सकें।
विभिन्न भूकंप प्रतिरोधी प्रौद्योगिकियों पर चर्चा करते हुए आईआईटी नई दिल्ली के प्रख्यात प्रोफेसर, टी के दत्ता, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरचनात्मक गतिशीलता में काम के लिए जाने जाते हैं, ने कहा कि भूकंप प्रतिरोधी प्रौद्योगिकियां इमारतों और संपत्तियों को अधिक सुरक्षित बनाती हैं। शाक एब्जार्बर जैसी प्रौद्योगिकियां शाक वेव्स की भयावहता को कम करती है। इसके अतिरिक्त गगनचुंबी इमारतों के लिए पेंडुलम इमारतों को स्थिर करने के लिए सहायक होते हैं।
उन्होंने 1962 से भारतीय मानक संस्थानों द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों पर चर्चा की, निर्मित बुनियादी ढांचे की स्थिति का आकलन किया और शिक्षाविदों से सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में आगे बढ़कर कार्य करने की अपील की।
प्रोफेसर अब्दुल बाकी (अध्यक्ष, सिविल इंजीनियरिंग विभाग) ने अतिथियों का स्वागत करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि संरचनाओं की भूकंपीय सुरक्षा एक बड़ी आवश्यकता क्यों है।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब भूकंप की घटनाएं बढ़ रही हैं, इमारतों का भूकंप प्रतिरोधी होना अनिवार्य है। इसके लिए डेवलपर्स को बिल्डिंग कोड और कंस्ट्रक्शन नार्म्स का पालन करना होगा।
प्रोफेसर बाकी ने यह भी बताया कि एएमयू में सिविल इंजीनियरिंग विभाग भूकंप प्रतिरोधी डिजाइन और संरचनाओं के परीक्षण के क्षेत्र में समाधान और परामर्श प्रदान कर रहा है।
प्रोफेसर रिजवान अहमद खान (एफडीपी समन्वयक) ने ज्ञान और पेशेवर कौशल को बढ़ावा देने में एफडीपी के महत्व और कोड प्रवर्तन और भवन निरीक्षण के लिए एक प्रणाली के साथ सुरक्षित निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने सिविल और स्ट्रक्चरल इंजीनियरों की क्षमता-आधारित लाइसेंसिंग, भूकंपीय सुरक्षा के लिए एक अनुसंधान और विकास संस्कृति के निर्माण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
प्रो मोहम्मद आरिफ ने अतिथिवक्ताओं का परिचय कराते हुए एफडीपी के मुख्य बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने उन्नत भूकंपीय प्रभाव न्यूनीकरण उपायों और आपदा प्रतिरोधी समाज के लिए भूकंप प्रतिरोधी संरचनाओं के निर्माण की आवश्यकता पर बात की।
प्रोफेसर रेहान अहमद खान ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डा एम मोइनुल हक और डा जैद मोहम्मद ने किया।

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