अलीगढ़, 10 नवंबरः, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कालेज आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग द्वारा “गर्मी हस्तांतरण और दहन इंजीनियरिंग में आधुनिक रुझान” विषय पर पांच दिवसीय आनलाइन फैकल्टी डेवेलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन किया गया जिसमें देश और विदेश से शामिल विशेषज्ञों ने गर्मी हस्तांतरण प्रक्रिया और वायु गुणवत्ता, ऊर्जा की बचत, ग्लोबल वार्मिंग, अग्नि सुरक्षा आदि में आधुनिक रुझानों पर अपने विचार साझा किए।डा पीटर वुडफील्ड (स्कूल आफ इंजीनियरिंग, ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी, आस्ट्रेलिया) ने थर्माेमैग्नेटिक कन्वेक्शन हीट ट्रांसफर पर टिप्पणी की और भूमिगत लोरा सेंसर की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। डा फातिमा सालेही (स्कूल आफ इंजीनियरिंग, मैक्वेरी यूनिवर्सिटी, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया) ने मल्टी-फेज फ्लो मॉडलिंग के कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग पर प्रकाश डाला और विभिन्न अनुप्रयोगों के परिणाम साझा किये।डा खिज़्र सईद (उन्नत इंजीनियरिंग केंद्र, ब्राइटन विश्वविद्यालय, यूके) ने नैनोकणों के संश्लेषण पर अपना शोध प्रस्तुत किया, जबकि श्री शाही रियाज़ (तकनीकी कार्यक्रम प्रबंधक, रीगल रेक्सनार्ड, डेटन, ओहियो, यूएसए) ने थर्मल प्रबंधन पर चर्चा की। उन्होंने बाजार के रुझान, चुनौतियां और संभावित समाधान का भी उल्लेख किया।श्री विनीत कुमार (पावर जनरेशन इंजीनियर, हैच लिमिटेड, ब्रिस्बेन, ऑस्ट्रेलिया) ने थर्मल एनर्जी स्टोरेज सिस्टम पर बात की, जबकि प्रो श्रीधर शेषाद्री (प्रमुख, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी बॉम्बे) ने आईसी इंजन और इलैक्ट्रिक वहानों के भविष्य पर बात की।प्रो. अंदलीब तारिक (आईआईटी रुड़की) ने परमाणु रिएक्टरों तथा क्रायोजेनिक अनुप्रयोगों से संबंधित इंटरफेशियल हीट ट्रांसफर स्टडीज पर विस्तार से बात की। प्रोफेसर अशोक डे (एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी कानपुर) ने ड्रोपलेट और स्प्रे संयोजनों की मूल बातों पर प्रकाश डाला। डा शांतनु डे (मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी कानपुर) ने मल्टीपिल मेपिंग क्लोजर पर बात की, जबकि डा दिबाकर रक्षित (ऊर्जा अध्ययन केंद्र, आईआईटी दिल्ली) ने ऊर्जा प्रदर्शन के निर्माण में सुधार पर बात की।कार्यक्रम का संचालन डा. मुहम्मद फैजान ने किया और डॉ. मुहम्मद आसिफ ने आभार व्यक्त किया। डॉ सना-उर-रहमान और डा शाहिद हुसैन ने फैकल्टी डेवेलपमेंट प्रोग्राम की संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत की। अदनान हफीज और तालिब हुसैन ने अपने अनुभव साझा किए।यूआर कालेज (एलएनएमयू), यूनिवर्सिटी सेंस मलेशिया, आईआईटीएसएम (धनबाद), आईआईटी (मद्रास), आईआईटी (रुड़की), आईआईटी (कानपुर), एनआईटी (कालीकट), योंगनाम यूनिवर्सिटी (दक्षिण कोरिया), हुआजोंग यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी (चीन), एनआईटी (जालंधर), नज़रान विश्वविद्यालय (केएसए), ज़ोफ़र विश्वविद्यालय (ओमान), यूनिवर्सिडैड रे जुआन कार्लाेस, मैड्रिड (स्पेन) और ग्रिफ़िथ विश्वविद्यालय (आस्ट्रेलिया) सहित अन्य संस्थानों के शिक्षकों और छात्रों ने कार्यक्रम में भाग लिया।








