प्रधानमंत्री ने राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय का बटन दबाकर शिलान्यास किया
अलीगढ़ 14 सितम्बर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को त्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ में राजा महेन्द्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय का बटन दबाकर शिलान्यास किया गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने उ0प्र0 इंडस्ट्रियल काॅरिडोर (अलीगढ़ नोड) के प्रदर्शनी माॅडल्स का अवलोकन एवं भूमि आवंटन शुभारम्भ की प्रगति समीक्षा की गयी। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर राजा मंहेंद्र प्रताप की प्रशंसा करते हुए आज की दिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए बहुत बड़ा दिन है क्योंकि आज कि महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, शिक्षाविद एवं समाज सुधारक राजा महेन्द्र प्रताप सिंह की स्मृति और सम्मान में प्रदेश सरकार द्वारा अलीगढ़ में राज्य विश्वविद्यालय स्थापित किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने डिफेंस काॅरिडोर की आधार शिला रखते हुए कहा कि आज तक अलीगढ़ केे ताले के लोगों के घरों की हिफाजत की है लेकिन अब अलीगढ़ केे बडे़ हथियार देश की सुरक्षा करेंगें।
उन्होंने कहा कि आज इस शुभ अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल कल्याण सिंह जो हमारे बड़े हैं, की अनुपस्थिति महसूस कर रहा हूं। यदि वह होते तो अलीगढ़ की नई पहचान को देखकर खुश होते। आज उनकी आत्मा जहां भी होगी, खुश हो रही होगी। हमारा राष्ट्र प्यार और तप से भरा हुआ है। आजादी के आन्दोलन में अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले राष्ट्र नायक और नायिकाओं की तपस्या को आजादी के बाद देश की अगली पीढ़ी से परिचित नहीं कराया गया। आज हमारी सरकार उनकी गाथाओं से सभी को परिचित करा रही है। 20वीं सदी में की गयी गलतियों को 21वीं सदी में सुधारा जा रहा है। आज राजा महेन्द्र प्रताप सिंह के राष्ट्र निर्माण से परिचित कराए जाने से ईमानदारी से प्रयास हो रहा है। आज देश आजादी के 75वें वर्ष में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। देश पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने वालों को नमन करने का पावन अवसर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बड़े सपने देख रहे युवा जो कुछ करना चाहते हैं, उसे राजा महेन्द्र प्रताप सिंह के बारे में अवश्य जानना-पढ़ना चाहिए। अपने सपनों को पूरा करने के लिए यदि कुछ मुश्किलें एवं समस्याएं सामने आतीं हैं तो राजा महेन्द्र प्रताप सिंह को याद कर लें। वह भारत की आजादी चाहते थे और जीवन का एक-एक पल इसी के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने भारत में रहकर ही नहीं बल्कि आजादी के लिए दुनियां के कोने-कोने में- अफगानिस्तान, पोलैण्ड, दक्षिण अफ्रीका, जापान तक गये। वह भारत माता को आजादी दिलाने एवं पराधीनता की बेड़ियों को काटने में जुटे रहे। उन्होंने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि वह मेरी बात को गौर से सुनें यदि लक्ष्य कठिन लगे, मुश्किलें नजर आएं तो राजा महेन्द्र प्रताप सिंह को अवश्य याद कर लें आपका हौंसला बुलन्द हो जाएगा। राजा महेन्द्र प्रताप सिंह का लक्ष्य हम सभी को प्रेरणा देता है। राजा महेन्द्र प्रताप सिंह जिस तरह एक लक्ष्य, कर्तव्यनिष्ठ होकर भारत की आजादी के लिए जुटे रहे वह आज भी हम सभी को प्रेरणा देता है। मुझे देश के एक और महान स्वतंत्रता सेनानी गुजराती सपूत श्याम कृष्ण वर्मा का स्मरण हो रहा है।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान राजा महेन्द्र प्रताप सिंह, श्याम जी कृष्ण वर्मा जी और लाला हरदयाल से मिलने के लिए यूरोप गये। उसी बैठक में जो दिशा तय हुई उसी का परिणाम हमें अफगानिस्तान में भारत की पहली निर्वासित सरकार के तौर पर देखने को मिला। इस सरकार का नेतृत्व राजा महेन्द्र प्रताप सिंह जी ने किया। यह मेरा सौभाग्य है कि जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तो मुझे 73 साल बाद श्याम जी कृष्ण वर्मा की अस्थियों को भारत लाने में सफलता मिली। उन्होंने कहा कि यदि किसी को कच्छ जाने का अवसर मिले तो कच्छ के मांडवी में श्याम जी कृष्ण वर्मा जी का बहुत ही प्रेरक स्मारक है, जहां उनके अस्थि कलश रखे गये हैं जो हमें माॅ भारती के लिए जीने की प्रेरणा देते हैं। आज देश के प्रधानमंत्री जी के नाते मुझे फिर से एक बार यह सौभाग्य मिला है कि मैं राजा महेन्द्र प्रताप जैसे दूरदृष्टा एवं महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम पर बन रही यूनिवर्सिटी का शिलान्यास कर रहा हूं। मेरे जीवन का यह बड़ा सौभाग्य है मैं ऐसे पवित्र अवसर पर इतनी बड़ी संख्या में आशीर्वाद देने आई जनता जनार्दन के दर्शन करना भी शक्तिदायक होता है।
उन्होंने कहा कि राजा महेन्द्र प्रताप सिंह सिर्फ भारत की आजादी के लिए ही नहीं लड़े बल्कि उन्होंने भारत के भविष्य के निर्माण की नींव में भी सक्रिय योगदान किया। उन्होंने अपनी देश-विदेश की यात्राओं से मिले अनुभवों से भारत की शिक्षा व्यवस्था को आधुनिक बनाने का कार्य किया। उन्होंने वृृन्दावन में आधुनिक पाॅलीटेक्निक काॅलेज अपनी पैतृक सम्पत्ति को दान करके बनवाया। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवार्सिटी के लिए भी बड़ी जमीन राजा महेन्द्र प्रताप सिंह ने ही दी थी। आज आजादी के अमृतकाल में जब 21वीं सदी का भारत शिक्षा और कौशल के नये दौर की तरफ बढ़ चला है, तब माॅ भारती के ऐसे अमर सपूत के नाम पर विश्वविद्यालय का निर्माण उन्हें सच्ची कार्याजंलि है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय आधुनिक शिक्षा का बड़ा केंद्र तो बनेगा ही साथ ही देश में डिफेंस से जुड़ी पढ़ाई, डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी टैक्नोलाॅजी और मैनपावर बढ़ाने वाला सेन्टर भी बनेगा। नई भारतीय शिक्षा नीति में जिस तरह शिक्षा, कौशल एवं स्थानीय भाषा में पढ़ाई पर बल दिया गया है उससे इस विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को बड़ा लाभ मिलेगा। अपनी सैन्य ताकत को मजबूत करने के लिए आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे भारत के प्रयासों को इस विश्वविद्यालय में होने वाली पढ़ाई नई गति देगी।